Navratri Puja Vidhi (Durga Puja)
नवरात्रि पूजा विधि: पूरी जानकारी
नवरात्रि का त्यौहार हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला एक धार्मिक उत्सव है, जिसमें माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि वर्ष में दो बार आती है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। यहाँ हम 2024 के अनुसार सही मुहूर्त के साथ नवरात्रि पूजा की पूरी विधि और आवश्यक सामग्री की जानकारी दे रहे हैं।नवरात्रि पूजा की तैयारी:
आवश्यक सामग्री:
- कलश (मिट्टी या तांबे का)- नारियल (सिर पर लाल कपड़ा बांधें)
- आम या अशोक के पत्ते
- माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति
- चुनरी (लाल रंग की)
- सुपारी, पान, साबुत चावल, फूल
- अगरबत्ती, दीया, घी या तेल
- कुमकुम, रोली, सिंदूर, हल्दी
- पंचमेवा या सूखे मेवे
- धूप, कपूर
- अक्षत, मिठाई
- सफेद कपड़ा (चौकी के लिए)
- गंगाजल, शहद, दही, दूध, घी, चीनी (पंचामृत के लिए)
नवरात्रि पूजा विधि (पहले दिन से अंतिम दिन तक):
2024 में नवरात्रि का शुभ मुहूर्त:- शारदीय नवरात्रि 2024 की शुरुआत 3 अक्टूबर 2024 से होगी और 11 अक्टूबर 2024 तक चलेगी।
- कलश स्थापना का मुहूर्त: सुबह 06:17 AM से 07:53 AM तक।
पहला दिन (कलश स्थापना - शैलपुत्री पूजा):
- शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना करें।- कलश के मुख पर आम के पत्ते रखें और उसके ऊपर नारियल रखें।
- माँ दुर्गा के पहले स्वरूप माँ शैलपुत्री की पूजा करें। सफेद फूल और सफेद वस्त्र अर्पित करें।
- दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
Arti Shailputri Mata Ji Ki
दूसरा दिन (ब्रह्मचारिणी पूजा):
- इस दिन माँ ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है।- इन्हें सफेद वस्त्र और चीनी अर्पित करें। साधकों के लिए यह दिन तपस्या और संयम का होता है।
Arti Brahmacharini Mata Ji Ki
तीसरा दिन (चंद्रघंटा पूजा):
- माँ चंद्रघंटा की पूजा करें। इनके मस्तक पर चंद्राकार है।- इस दिन पूजा के दौरान घी का दीपक जलाएं और गुड़ अर्पित करें।
Arti Chandraghanta Mata Ji Ki
चौथा दिन (कूष्मांडा पूजा):
- माँ कूष्मांडा की पूजा करें, जिनके कारण यह संसार उत्पन्न हुआ।- इस दिन माँ को मालपुआ अर्पित करें और साधक को शारीरिक स्वास्थ्य लाभ होता है।
Arti Kushmanda Mata Ji Ki
पाँचवाँ दिन (स्कंदमाता पूजा):
- स्कंदमाता को पूजा में केले का भोग लगाएं।- इस दिन पूजा करने से सभी प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
Arti Skandamata Mata Ji Ki
छठा दिन (कात्यायनी पूजा):
- माँ कात्यायनी की पूजा करें। इन्हें लाल पुष्प अर्पित करें।- यह दिन विवाह और प्रेम के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस दिन माता को शहद का भोग लगाएं।
Arti Katyayani Mata Ji Ki
सातवाँ दिन (कालरात्रि पूजा):
- माँ कालरात्रि की पूजा करें। यह दिन तंत्र और साधना के लिए महत्वपूर्ण होता है।- इस दिन गुड़ का भोग लगाएं और माँ को नीले या काले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
Arti Kalaratri Mata Ji Ki
आठवाँ दिन (महागौरी पूजा):
- महागौरी माँ को सफेद वस्त्र अर्पित करें और नारियल का भोग लगाएं।- यह दिन जीवन में शांति और सुख प्राप्ति के लिए होता है।
Arti Mahagauri Mata Ji Ki
नौवाँ दिन (सिद्धिदात्री पूजा और कन्या पूजन):
- माँ सिद्धिदात्री की पूजा करें। इनसे सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।- इस दिन कन्या पूजन और हवन करना बहुत शुभ होता है। माँ को तिल और हलवे का भोग लगाएं।
Arti Siddhidatri Mata Ji Ki
कन्या पूजन
नवरात्रि का कन्या पूजन: पूरी जानकारी
कन्या पूजन नवरात्रि का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और धार्मिक अनुष्ठान है। यह नवरात्रि के अंतिम दिनों में, विशेष रूप से अष्टमी या नवमी के दिन किया जाता है। इसे "कन्या पूजन" या "कन्या भोज" के रूप में भी जाना जाता है। इस अनुष्ठान में नौ कन्याओं को माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, जो शुद्धता, शक्ति, और दिव्यता का प्रतीक मानी जाती हैं।कन्या पूजन का महत्व:
कन्या पूजन का उद्देश्य नारी शक्ति का सम्मान करना और माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करना है। इसे करने से घर में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है। यह धार्मिक प्रक्रिया न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए की जाती है, बल्कि समाज में महिलाओं के महत्व को भी दर्शाती है।
2024 में कन्या पूजन का सही समय:
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त:
अष्टमी तिथि: 10 अक्टूबर 2024 (गुरुवार)कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:15 AM से 08:00 AM तक।
नवमी तिथि: 11 अक्टूबर 2024 (शुक्रवार)
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त: सुबह 06:18 AM से 08:15 AM तक।
कन्या पूजन विधि:
कन्याओं का चयन:कन्या पूजन के लिए नौ या कम से कम एक कन्या का चयन करें। इन कन्याओं की उम्र 2 से 10 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इन्हें माँ दुर्गा के नौ स्वरूपों के प्रतीक रूप में देखा जाता है।
नौ कन्याओं के साथ एक लड़के को भी साथ बिठाया जाता है, जिसे "लंगूर" कहा जाता है। लंगूर को भगवान हनुमान का रूप माना जाता है।
कन्याओं को बुलाएं और चरण धोएं:
पहले कन्याओं को घर बुलाकर उनके पैर धोएं और उन्हें स्वच्छ आसन पर बैठाएं।
उनके माथे पर रोली-कुमकुम से तिलक लगाएं और उनके पैरों पर हल्दी और कुमकुम से पूजा करें।
पूजन और अर्चना:
सभी कन्याओं के सामने दीप जलाएं और माँ दुर्गा की स्तुति और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
माँ दुर्गा को समर्पित भजन और आरती गायें।
कन्याओं को मिठाई और फलों का भोग अर्पित करें।
भोग लगाना:
कन्याओं को हलवा, पूड़ी और काले चने का विशेष भोग दिया जाता है। इसे नवरात्रि का पारंपरिक प्रसाद माना जाता है।
भोजन कराकर उन्हें मिठाई या फल भी दिए जा सकते हैं।
आशीर्वाद लें:
भोजन कराने के बाद कन्याओं को उपहार जैसे कपड़े, चूड़ियाँ, बिंदी, या पैसे देकर विदा करें।
अंत में, कन्याओं के चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें। यह माना जाता है कि इन कन्याओं के रूप में स्वयं माँ दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है।
कन्या पूजन के भोग:
हलवा: यह भोग पवित्र और पौष्टिक माना जाता है, और माँ को अर्पित करने के बाद कन्याओं को दिया जाता है।
पूड़ी: ताज़ी पूड़ी का प्रसाद कन्याओं को खिलाया जाता है।
काले चने: यह माँ दुर्गा को प्रिय हैं और इन्हें कन्याओं को अर्पित किया जाता है।
मिठाई: पूजन के बाद मिठाई (जैसे लड्डू या बर्फी) कन्याओं को अर्पित की जाती है।
नवरात्रि के अंतिम दिनों में कन्या पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इससे घर में माँ दुर्गा की कृपा बनी रहती है, और परिवार को समृद्धि एवं सुख-शांति का आशीर्वाद मिलता है।
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