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Shri Chandraghanta Mata Ji Ki Arti Lyrics

जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।पूर्ण कीजो मेरे काम॥
चन्द्र समाज तू शीतल दाती।चन्द्र तेज किरणों में समाती॥
मन की मालक मन भाती हो।चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥
सुन्दर भाव को लाने वाली।हर संकट में बचाने वाली॥
हर बुधवार को तुझे ध्याये।श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए॥
मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥
शीश झुका कहे मन की बाता।पूर्ण आस करो जगत दाता॥
कांचीपुर स्थान तुम्हारा।कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥
नाम तेरा रटू महारानी।भक्त की रक्षा करो भवानी॥
|| इति संपूर्णंम् ||


श्री चंद्रघंटा माता जी की आरती का महत्व

श्री चंद्रघंटा माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:
श्री चंद्रघंटा माता जी की आरती भक्तों द्वारा श्रद्धा और भक्ति के साथ गाई जाती है। इसमें माता के दिव्य स्वरूप और उनकी आराधना का गुणगान किया गया है। यहाँ पर इस आरती के मुख्य बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया गया है:
माता की महिमा और आराधना:
"जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम॥"
भक्त माता चंद्रघंटा की आरती गाते हुए उन्हें सुख और समृद्धि का स्रोत मानते हैं और उनके माध्यम से अपने कामों की पूर्ति की प्रार्थना करते हैं।
माता की शीतलता और दिव्यता:
"चन्द्र समाज तू शीतल दाती। चन्द्र तेज किरणों में समाती॥"
माता चंद्रघंटा चंद्रमा की शीतलता और उसकी किरणों की दिव्यता को प्रदर्शित करती हैं। उनका रूप शीतल और दिव्य है।
मन की इच्छाओं की पूर्ति:
"मन की मालक मन भाती हो। चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥"
माता चंद्रघंटा मन की इच्छाओं को पूरा करने वाली और भक्तों के मन को भाने वाली हैं।
संकट नाशक:
"सुन्दर भाव को लाने वाली। हर संकट में बचाने वाली॥"
माता हर संकट से मुक्ति प्रदान करती हैं और सुंदर भावनाओं को लाने में सहायक होती हैं।
ध्यान और पूजा विधियाँ:
"हर बुधवार को तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित तो विनय सुनाए॥"
भक्त हर बुधवार को माता चंद्रघंटा का ध्यान और पूजा करते हैं, श्रद्धा और विनय के साथ उनकी आराधना करते हैं।
मूर्ति और पूजा सामग्री:
"मूर्ति चन्द्र आकार बनाए। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं॥"
माता की मूर्ति चंद्रमा के आकार की होती है और भक्त घी की ज्योत जलाते हैं।
आशीर्वाद की प्राप्ति:
"शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगत दाता॥"
भक्त अपने सिर को झुका कर माता के सामने अपनी बात कहते हैं और उनके आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना करते हैं।
माता का स्थान और मान:
"कांचीपुर स्थान तुम्हारा। कर्नाटिका में मान तुम्हारा॥"
माता चंद्रघंटा का प्रमुख स्थान कांचीपुर है और कर्नाटिका में उनका मान है।
भक्तों की रक्षा:
"नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी॥"
भक्त माता के नाम का जप करते हैं और उनकी रक्षा की प्रार्थना करते हैं।
आरती का प्रभाव:
मन की शांति और संतोष:
माता चंद्रघंटा की आरती से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह आरती भक्तों के मन को शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है।
संकट नाशक:
आरती के माध्यम से भक्त माता से संकटों और परेशानियों से छुटकारा प्राप्त करने की प्रार्थना करते हैं। माता के आशीर्वाद से जीवन की कठिनाइयों का समाधान होता है।
भक्ति और समर्पण:
आरती का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति और समर्पण को प्रगाढ़ करता है। यह माता के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।

माता चंद्रघंटा की आरती के आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति:
माता चंद्रघंटा की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उनके भक्ति और समर्पण को बढ़ाता है।
संकटों से मुक्ति:
इस आरती के पाठ से जीवन की समस्याओं और संकटों का समाधान होता है। माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से भक्तों के जीवन में बाधाएँ दूर होती हैं।
आशीर्वाद की प्राप्ति:
नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
सारांश में:
श्री चंद्रघंटा माता की आरती माता की महिमा का गुणगान करती है, उनके दिव्य स्वरूप की पूजा करती है, और भक्तों के जीवन को सुख और समृद्धि प्रदान करती है। यह आरती मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और संकटों से मुक्ति का साधन है।

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