जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता।
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे॥
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥ || इति संपूर्णंम् ||
श्री सिद्धिदात्री माता जी की आरती का महत्व
श्री सिद्धिदात्री माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ
आरती का सारांश:
श्री सिद्धिदात्री माता की आरती में माता के दिव्य स्वरूप, उनकी महिमा और उनकी पूजा का महत्व प्रस्तुत किया गया है। आरती के प्रमुख बिंदुओं का सारांश इस प्रकार है: माता की महिमा और पूजा:
"जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता। तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता॥"
माता सिद्धिदात्री सिद्धियों की दात्री हैं, भक्तों की रक्षक और दासों की माता हैं। Siddhi प्राप्ति:
"तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि। तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि॥"
माता का नाम लेने से सिद्धि प्राप्त होती है और उनके नाम से मन की शुद्धि होती है। Siddhi की प्राप्ति:
"कठिन काम सिद्ध करती हो तुम। जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम॥"
माता कठिन कामों को सिद्ध करती हैं और जब अपने हाथ को सेवक के सिर पर रखती हैं, तब वे पूरी होती हैं। पूजा की विधि:
"तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है। तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है॥"
माता की पूजा में कोई विशेष विधि नहीं है, वे जगदम्बा हैं और सर्व सिद्धि देने वाली हैं। सुमिरन और पूजा:
"रविवार को तेरा सुमिरन करे जो। तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो॥"
जो व्यक्ति रविवार को माता का स्मरण करता है और उनकी मूर्ति को मन में धारण करता है, उसकी सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। माता की दया:
"तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया। रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया॥"
माता की दया और माया उन पर छाया डालती हैं जिनके सिर पर माता का आश्रय होता है। सर्व सिद्धि प्राप्ति:
"सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली। जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली॥"
जो माता के दर पर आकर भक्ति करता है, वह भाग्यशाली होता है और सभी सिद्धियाँ प्राप्त करता है। माता का निवास:
"हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा। महा नंदा मंदिर में है वास तेरा॥"
माता हिमाचल पर्वत पर निवास करती हैं और महा नंदा मंदिर में उनकी उपस्थिति है। भक्ति और आश्रय:
"मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता। भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता॥"
भक्त माता से आश्रय और भक्ति की प्राप्ति की कामना करता है।
श्री सिद्धिदात्री माता जी की आरती का प्रभाव:
Siddhi की प्राप्ति:
माता की आरती करने से भक्त को सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और कठिन काम पूरे होते हैं। भक्ति और श्रद्धा:
इस आरती के पाठ से भक्त की भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। माता के प्रति गहरी भक्ति की भावना उत्पन्न होती है। शांति और संतोष:
आरती से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष मिलता है। यह भक्ति और समर्पण को बढ़ावा देती है।
श्री सिद्धिदात्री माता जी की आरती काआध्यात्मिक लाभ:
आध्यात्मिक उन्नति:
माता सिद्धिदात्री की आरती से भक्त की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उनके जीवन में दिव्यता का अनुभव होता है। संकट नाशक:
इस आरती के पाठ से जीवन की समस्याएँ और संकट दूर होते हैं। माता का आशीर्वाद प्राप्त करने से कठिनाइयाँ समाप्त होती हैं। आशीर्वाद की प्राप्ति:
नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से भक्तों को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है। सारांश में:
श्री सिद्धिदात्री माता की आरती माता की महिमा का गुणगान करती है, उनकी दिव्यता की पूजा करती है, और भक्तों को सिद्धियाँ, शांति और समृद्धि प्रदान करती है। यह आरती आध्यात्मिक उन्नति, संकट नाश और माता के आशीर्वाद का साधन है।