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Shri Pitar Ji Ki Arti

जय जय पितरजी महाराज||...

मैं शरण पड़यो हूँ थारी।
शरण पड़यो हूँ थारी बाबा, शरण पड़यो हूँ थारी॥
जय जय पितरजी महाराज||...

आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे।
मैं मूरख हूँ कछु नहि जाणू, आप ही हो रखवारे॥
जय जय पितरजी महाराज||...

आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी॥
जय जय पितरजी महाराज||...

देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥
जय जय पितरजी महाराज||...

भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥
जय जय पितरजी महाराज||...

|| इति संपूर्णंम् ||


श्री पितर जी की आरती: पूजा विधि, लाभ, मंत्र और अर्थ

श्री पितर जी का पूजन भारतीय परंपरा में पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है। उनकी आराधना से व्यक्ति अपने जीवन में शांति, समृद्धि और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करता है। इस लेख में श्री पितर जी की आरती, पूजा विधि, लाभ, और मंत्र का विस्तृत विवरण दिया गया है।

श्री पितर जी की पूजा विधि

पूजा का समय:
- अमावस्या और श्राद्ध पक्ष के दिन पितरों की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
- पूजा प्रातःकाल या संध्या के समय करें।

पूजा सामग्री:
- तुलसी पत्र, चंदन, धूप, दीपक, और पुष्प।
- गाय का दूध, घी, गुड़, और मिष्ठान।
- पितरों का प्रतीकात्मक चित्र या मूर्ति।
- कच्चा भोजन जैसे खीर, पूरी, और अन्य पकवान।

पूजा प्रक्रिया:
1. पूजा स्थल को साफ करें और पितरों का प्रतीक स्थापित करें।
2. दीपक जलाकर धूप और चंदन अर्पित करें।
3. पितरों के चरणों में पुष्प और तुलसी पत्र चढ़ाएं।
4. "श्री पितर जी की आरती" का पाठ करें।
5. जल और कच्चा भोजन अर्पित करें।
6. आरती के बाद प्रसाद वितरित करें।

श्री पितर जी की पूजा के लाभ

1. पूर्वजों का आशीर्वाद: पितरों की कृपा से जीवन में हर प्रकार की उन्नति और शांति प्राप्त होती है।
2. पारिवारिक समृद्धि: पितरों की आराधना से परिवार में सुख, समृद्धि, और धन का आगमन होता है।
3. वंश वृद्धि: यह पूजा संतान प्राप्ति और वंश वृद्धि में सहायक होती है।
4. पितृ दोष निवारण: पितरों की आराधना से कुंडली में पितृ दोष समाप्त होता है।
5. मानसिक और आत्मिक शांति: यह पूजा जीवन में मानसिक शांति और आत्मिक संतोष प्रदान करती है।

श्री पितर जी के मंत्र

बीज मंत्र:
"ॐ पितृभ्यः स्वधा।"

पितृ गायत्री मंत्र:
"ॐ पितृ देवाय विद्महे जगत पालनाय धीमहि तन्नः पितरः प्रचोदयात्।"

महामंत्र:
"ॐ पितृ गणाय नमः।"

श्री पितर जी की आरती का अर्थ

|| दोहा ||
**"जय जय पितरजी महाराज।
आप ही रक्षक आप ही दाता, आप ही खेवनहारे॥"**
अर्थ: हे पितर देव, आपकी जय हो। आप हमारे रक्षक, दाता, और जीवन के हर कठिनाई में सहायक हैं।

**"देश और परदेश सब जगह, आप ही करो सहाई।
काम पड़े पर नाम आपको, लगे बहुत सुखदाई॥"**
अर्थ: चाहे देश हो या परदेश, आपकी कृपा हर जगह बनी रहती है। आपके नाम का स्मरण सुखकारी है।

**"भक्त सभी हैं शरण आपकी, अपने सहित परिवार।
रक्षा करो आप ही सबकी, रटूँ मैं बारम्बार॥"**
अर्थ: हमारे परिवार सहित हम सभी आपकी शरण में हैं। कृपया हमारी रक्षा करें।

**"आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी, करने मेरी रखवारी।
हम सब जन हैं शरण आपकी, है ये अरज गुजारी॥"**
अर्थ: आप हर समय हमारे साथ हैं और हमारी रक्षा करते हैं। कृपया हमेशा हमारी सहायता करें।

निष्कर्ष

श्री पितर जी की आरती और पूजा विधि पितरों के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करने का सर्वोत्तम तरीका है। उनकी आराधना से पितृ दोष का निवारण, पारिवारिक सुख-शांति, और वंश वृद्धि होती है। नियमित आरती और पूजा से पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता है, जिससे जीवन में समृद्धि और कल्याण आता है।


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