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Maha Mrityunjaya Mantra

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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् We meditate on the Three-eyed One, Lord Shiva, who nourishes all living beings. Om Tryambakam Yajamahe Sugandhim Pushtivardhanam
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् May He liberate us from the bondage of death and lead us to immortality. Urvarukamiva Bandhanan Mrityormukshiya Maamritat

महामृत्युंजय मंत्र: जाप विधि, सही समय, लाभ और मंत्र का राशि पर प्रभाव

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे: हम त्र्यम्बक देवता की पूजा करते हैं। त्र्यम्बक का अर्थ है "तीन नेत्रों वाले भगवान" जो भगवान शिव को दर्शाता है।

सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्: यह पंक्ति भगवान शिव की गुणों का वर्णन करती है कि वे सभी जीवों के लिए पोषण और समृद्धि लाते हैं।

उर्वारुकमिव बन्धनान: यह कहता है कि जैसे एक फल को उसकी डाली से अलग किया जाता है, वैसे ही हमें जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त करें।

मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्: इस पंक्ति में भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे हमें मृत्यु के बंधन से मुक्त कर अमरता की ओर ले जाएं।

मंत्र का महत्व: यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसे सभी वेदों में सबसे शक्तिशाली और प्रभावी मंत्र माना गया है। यह मानसिक शांति, आत्मिक शुद्धि और भौतिक समृद्धि प्रदान करता है।


महामृत्युंजय मंत्र जाप विधि और सही समय

महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से पहले कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी चाहिए। सही विधि और समय का पालन करना आवश्यक है ताकि अधिकतम लाभ प्राप्त हो सके।

जाप का समय: जाप की विधि:

महामृत्युंजय मंत्र के लाभ

शारीरिक और मानसिक लाभ: आध्यात्मिक लाभ:

महामृत्युंजय मंत्र का राशि पर प्रभाव

यह मंत्र सभी राशियों के लिए अद्वितीय लाभ प्रदान करता है।

निष्कर्ष


महामृत्युंजय मंत्र न केवल एक शक्तिशाली वेदिक मंत्र है बल्कि यह जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और समृद्धि लाने का माध्यम है। इसे नियमित रूप से जाप करने से व्यक्ति भौतिक और आध्यात्मिक दोनों लाभ प्राप्त कर सकता है। यह मंत्र भगवान शिव की कृपा का अनुभव करने का एक अद्भुत साधन है।



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