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Rahu Stotra

|| राहु स्तोत्र ||

राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दन:।
अर्धकाय: सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दन: ।।1।।

रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्य: स्वर्भानु र्भानुभीतिद:।
ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुक: ।।2।।

कालदृष्टि: कालरूप: श्री कण्ठह्रदयाश्रय:।
बिधुंतुद: सैंहिकेयो घोररूपो महाबल: ।।3।।

ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदर:।
पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानर: ।।4।।

य: पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्।
आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा ।।5।।

ददाति राहुस्तस्मै य: पठेत स्तोत्र मुत्तमम्।
सततं पठेत यस्तु जीवेद्वर्षशतं नर: ।।6।।

|| इति संपूर्णंम् ||



राहु स्तोत्र: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ


राहु स्तोत्र राहु ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। राहु ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में एक महत्वपूर्ण छाया ग्रह माना गया है, जो कुंडली में अशुभ योग बनाने पर कष्टों का कारण बनता है। राहु स्तोत्र का पाठ न केवल राहु ग्रह की शांति करता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है। यह पाठ राहु दोष, कालसर्प दोष और अन्य ग्रह पीड़ाओं के निवारण में सहायक है।


राहु स्तोत्र की पूजा विधि


पूजा का समय:
- राहु ग्रह की शांति के लिए शनिवार और राहु काल के समय (सुबह 4:30 से 6:00 या दोपहर 12:00 से 1:30) यह पाठ विशेष फलदायी होता है।
- चतुर्थी, पंचमी, अमावस्या और ग्रहण के समय राहु की पूजा करना अधिक प्रभावी माना जाता है।

पूजा सामग्री:
- काले तिल और सरसों का तेल।
- नीले या काले रंग का वस्त्र।
- धूप, दीप और चंदन।
- काला धागा और सफेद फूल।
- मूंग और उड़द की दाल।

पूजा प्रक्रिया:
1. स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थल को साफ करें।
2. राहु ग्रह की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
3. सरसों का तेल का दीपक जलाएं और काले तिल अर्पित करें।
4. धूप जलाकर राहु स्तोत्र का पाठ करें।
5. राहु मंत्र "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः" का जाप 108 बार करें।
6. अंत में राहु देवता की आरती करें और नील वस्त्र या काले तिल का दान करें।


राहु स्तोत्र के लाभ


1. राहु दोष निवारण: राहु ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करता है।
2. कालसर्प दोष शांति: जीवन में उपस्थित कालसर्प दोष का निवारण करता है।
3. बाधा और संकट से मुक्ति: राहु स्तोत्र का पाठ सभी प्रकार के संकट और परेशानियों को दूर करता है।
4. स्वास्थ्य लाभ: राहु के कारण उत्पन्न रोगों और मानसिक तनाव को समाप्त करता है।
5. आर्थिक समृद्धि: राहु के अशुभ प्रभाव से होने वाले आर्थिक नुकसान को कम करता है।
6. मानसिक शांति: राहु स्तोत्र का पाठ मन को स्थिरता और शांति प्रदान करता है।
7. शत्रु नाश: राहु ग्रह का पाठ दुश्मनों और बुरी शक्तियों से सुरक्षा करता है।


राहु स्तोत्र का मंत्र


राहु मंत्र:

"ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः।"


बीज मंत्र:
"ॐ रां राहवे नमः।"


शांति मंत्र:
"ॐ कं कें कौं सः राहवे नमः।"


राहु स्तोत्र के शुभ अवसर


1. राहु काल: यह समय राहु ग्रह की पूजा के लिए विशेष माना जाता है।
2. शनिवार: शनिवार को राहु की शांति के लिए पाठ करें।
3. ग्रहण काल: सूर्य या चंद्र ग्रहण के समय राहु स्तोत्र का पाठ फलदायी है।
4. अमावस्या: अमावस्या के दिन राहु की पूजा करने से विशेष लाभ होता है।
5. चतुर्थी और पंचमी तिथि: इन दिनों राहु पूजा का महत्व अधिक होता है।
6. जन्म कुंडली दोष निवारण: राहु के अशुभ योग या दोष को शांत करने के लिए विशेष अवसरों पर यह पाठ करें।


राहु स्तोत्र का अर्थ


श्लोक 1: "राहुर्दानवमंत्री च सिंहिकाचित्तनन्दनः। अर्धकायः सदा क्रोधी चन्द्रादित्य विमर्दनः॥"
- राहु दानवों के मंत्री और सिंहिका के पुत्र हैं। उनका आधा शरीर ही है, और वे हमेशा क्रोधी रहते हैं। वे सूर्य और चंद्रमा को ग्रहण कर सकते हैं।

श्लोक 2: "रौद्रो रूद्रप्रियो दैत्यः स्वर्भानुर्भानुभीतिदः। ग्रहराज सुधापायी राकातिथ्यभिलाषुकः॥"
- राहु रौद्र रूप वाले हैं, रुद्र को प्रिय हैं, और स्वर्भानु नाम से जाने जाते हैं। वे अमृत के पान करने के इच्छुक और ग्रहों के राजा माने जाते हैं।

श्लोक 3: "कालदृष्टिः कालरूपः श्रीकण्ठह्रदयाश्रयः। विधुंतुदः सैंहिकेयो घोररूपो महाबलः॥"
- राहु काल दृष्टि वाले और काल स्वरूप हैं। वे भगवान शिव के हृदय में निवास करते हैं और महाबलशाली तथा भयावह रूप धारण करते हैं।

श्लोक 4: "ग्रहपीड़ाकरो दंष्टो रक्तनेत्रो महोदरः। पंचविंशति नामानि स्म्रत्वा राहुं सदानरः॥"
- राहु ग्रह पीड़ा के निवारक हैं, उनके नेत्र लाल हैं, और वे विशाल उदर वाले हैं। इन 25 नामों का स्मरण करने से राहु की कृपा प्राप्त होती है।

श्लोक 5-6: "यः पठेन्महती पीड़ा तस्य नश्यति केवलम्। आरोग्यं पुत्रमतुलां श्रियं धान्यं पशूंस्तथा॥ ददाति राहुस्तस्मै यः पठेत स्तोत्र मुत्तमम्॥"
- जो व्यक्ति राहु स्तोत्र का पाठ करता है, उसके कष्ट समाप्त हो जाते हैं। उसे आरोग्य, पुत्र सुख, धन, धान्य और पशुओं की प्राप्ति होती है। नियमित पाठ करने से व्यक्ति दीर्घायु और सुखी होता है।


निष्कर्ष

राहु स्तोत्र का नियमित पाठ राहु के अशुभ प्रभावों को समाप्त कर जीवन में सुख-समृद्धि लाता है। यह स्तोत्र ग्रहों की पीड़ा, कालसर्प दोष, और अन्य संकटों का निवारण करता है। श्रद्धा और विश्वास के साथ राहु स्तोत्र का पाठ करने पर राहु ग्रह की कृपा से जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है।




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