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Ketu Chalisa

|| दोहा ||

नमो नमो श्री केतु सुखकारी।
कष्ट हरो संताप हमारे॥

जयति जयति श्री केतु महराजा।
भव बंधन से सबको त्राजा॥

|| चौपाई ||

जयति जयति केतु देव दयाला।
सदा भक्तन के संकट हारा॥

केतु देव छाया ग्रह जाने।
सभी ग्रहों का दोष मिटाने॥

सिर कटा पर धड़ ना छोड़ा।
अमृत पान किया संत मोड़ा॥

राहु केतु संग्राम मचाया।
देवताओं को भी डराया॥

भानु ग्रास चंद्र को धाया।
सभी ग्रहों पर प्रभाव दिखाया॥

केतु ग्रह दुष्ट नरक सँसारा।
सभी संकटों को दूर भगानेवाला॥

केतु देव की महिमा भारी।
सभी ग्रहों में केतु न्यारे॥

केतु ग्रह का प्रभाव हटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥

कालसर्प दोष भी टारे।
केतु चालीसा जो जन गावे॥

केतु ग्रह के मंत्र जपे जो।
जीवन में सब सुख पावे सो॥

शत्रु से जो भयभीत होवे।
केतु देव का ध्यान धरावे॥

केतु देव की शरण जो आवे।
सभी कष्टों से मुक्ति पावे॥

केतु देव का ध्यान लगावे।
जीवन में सुख शांति पावे॥

केतु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥

भक्ति भाव से केतु देव को।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥

सभी संकट, कष्ट मिटावे।
केतु देव कृपा बरसावे॥

केतु देव की शरण जो आवे।
जीवन में सभी सुख पावे॥

केतु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥

कृपा दृष्टि केतु देव की।
जो भी भक्त मन में ध्यावे॥

केतु देव के चरणों में।
सभी भक्त शीश नवावे॥

केतु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में केतु भारी॥

सर्पाकार केतु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥

केतु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥

कृपा दृष्टि केतु देव की।
सभी भक्तों को सुख पावे॥

केतु देव का ध्यान धरावे।
जीवन में सुख शांति पावे॥

केतु देव का यश गावे।
सभी संकट दूर भगावे॥

भानु चंद्र जो केतु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर केतु बसे॥

केतु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में केतु भारी॥

सर्पाकार केतु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥

केतु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥

भानु चंद्र जो केतु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर केतु बसे॥

केतु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में केतु भारी॥

सर्पाकार केतु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥

केतु ग्रह का दोष मिटावे।
सभी जनों को सुख दिलावे॥

भानु चंद्र जो केतु ग्रसे।
सभी ग्रहों पर केतु बसे॥

केतु देव की महिमा न्यारी।
सभी ग्रहों में केतु भारी॥

सर्पाकार केतु देव का।
जो भी भक्त सुमिरे मन में॥

|| दोहा ||

नमो नमो श्री केतु सुखकारी।
कष्ट हरो संताप हमारे॥

जयति जयति श्री केतु महराजा।
भव बंधन से सबको त्राजा॥
|| इति संपूर्णंम् ||

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केतु चालीसा : पूजा विधि, लाभ, मंत्र, और अर्थ


श्री केतु चालीसा, केतु देव को समर्पित एक भक्ति गीत है, जिसमें उनकी महिमा, गुण, और कृपा का उल्लेख किया गया है। इसमें 40 छंद होते हैं, जो संकटों को हराने और शांति व समृद्धि प्रदान करने वाले देवता केतु की प्रार्थना करते हैं।

केतु चालीसा का संक्षिप्त अर्थ

प्रस्तावना:
केतु देव की महिमा का वर्णन करते हुए, भक्त उनके आशीर्वाद से जीवन के कष्टों, विपत्तियों और बाधाओं से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं। केतु देव को जीवन में संतुलन और शांति लाने वाला माना गया है।

केतु देव के गुण और महिमा

केतु देव के गुण:
- केतु देव को सर्पाकार छाया ग्रह कहा जाता है। - वे ग्रहों में विशिष्ट और संकटों को दूर करने वाले देवता हैं। - उनकी कृपा से जीवन के सभी प्रकार के कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

महिमा:
केतु देव संकटों को हराने वाले, कष्टों को मिटाने वाले, और भक्तों को सुख देने वाले देवता हैं। - उनकी कृपा से जीवन में शांति और समृद्धि आती है। - वे भौतिक और आध्यात्मिक समस्याओं को हल करने में सहायक माने जाते हैं।

केतु देव की पूजा विधि (Puja Vidhi)

केतु देव की पूजा विधि को सही ढंग से अपनाने से उनके अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है और उनकी कृपा प्राप्त की जा सकती है।

पूजा का समय:
- मंगलवार और शनिवार को केतु देव की पूजा करना शुभ माना जाता है। - पूजा का सर्वोत्तम समय सूर्योदय से पहले का होता है।

पूजा सामग्री:
- केसर और चंदन। - काले तिल, गुड़, और नारियल। - लोहे का दीपक और काले वस्त्र। - केतु यंत्र या उनका चित्र।

पूजा प्रक्रिया:
1. पूजा स्थल को साफ करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। 2. दीपक जलाकर केतु देव का ध्यान करें। 3. केतु चालीसा का पाठ करें और "ॐ कें केतवे नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। 4. काले तिल और गुड़ का हवन करें। 5. अंत में, प्रसाद अर्पित करें और आशीर्वाद प्राप्त करें।

केतु ग्रह की शांति के लिए उपाय

दान:
- काले तिल, लोहे के बर्तन, और काले वस्त्र का दान करें। - गरीबों को गुड़ और सरसों का तेल दें।

रत्न:
- लहसुनिया (कैट्स आई) धारण करें। - इसे चांदी या सोने में बनवाकर बुधवार को धारण करना शुभ माना जाता है।

अन्य उपाय:
- शिवलिंग पर काले तिल और जल अर्पित करें। - घर में नियमित रूप से हवन करवाएं। - गाय को गुड़ और रोटी खिलाएं।

केतु ग्रह से जुड़े मंत्र

बीज मंत्र:
"ॐ स्रां स्रीं स्रौं सः केतवे नमः।"
- इस मंत्र का नियमित जाप जीवन के सभी संकटों को समाप्त करता है।

केतु गायत्री मंत्र:
"ॐ चन्द्रपुत्राय विद्महे रोमस शरीराय धीमहि तन्नः केतु प्रचोदयात।"
- यह मंत्र मानसिक स्थिरता और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

केतु चालीसा के लाभ

संकट नाशक: श्री केतु चालीसा का नियमित पाठ जीवन के संकटों और बाधाओं को दूर करता है।
मानसिक शांति: केतु देव की कृपा से मानसिक संतुलन और शांति प्राप्त होती है।
सफलता और समृद्धि: केतु देव की पूजा से जीवन में सफलता और समृद्धि का मार्ग खुलता है।
आध्यात्मिक उन्नति: चालीसा का नियमित पाठ भक्त को आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाता है।
कष्टों का नाश: जीवन के सभी कष्टों और विपत्तियों का नाश होता है।

निष्कर्ष श्री केतु चालीसा और उनकी पूजा विधि संकटों से मुक्ति, मानसिक शांति, और आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है। उनके मंत्रों और उपायों का पालन करके जीवन में संतुलन, सुख, और समृद्धि पाई जा सकती है।

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