Mangal Chalisa
॥दोहा॥जय-जय मंगल मोर, कृपा करो गुरु देव।
संकट सब हर हरो, करि मंगल सदा सेव॥
॥चौपाई॥
जय मंगल ग्रह मुनि पूजित, शुभ फल दायक नाथ।
धातु रुधिर अधिदेव तम, शरणागत करे त्राण॥
रक्तवर्ण तन सुंदर, मस्तक मुकुट विराजत।
गदाहस्त त्रिनयन मनोहर, मंगल शुभफलदायक॥
अमित तेज, बल, मोह नाशक, पिंगल तन अति शोभित।
धरणी पुत्र अति, वैभवशाली, पाप-ताप सब हर्ता॥
अस्त्र, शस्त्र, गदा धारण कर, रजत सिंह पर सवार।
सप्त धातु का हो प्रदाता, वैद्य, विद्या सुधाकर॥
न्यायप्रिय, धर्मरत, भूतिहारी, मंद गति से विख्यात।
कुंडली दोष, अशुभ प्रभाव, जीवन में सब हरता॥
राजस्थान पूजित शिरोमणि, गुरु ग्रह का आभासक।
भक्त जनों का संकट हरते, तुम शुभ मंगलकारी॥
बुद्धिवर्धक, ज्ञानदायक, धर्म-अर्थ-काम प्रदायक।
तृण-ताप, विपदा हरो, करि सुखदायक मंगल॥
महाबली वीर विक्रम, तापत्रय हरो अपार।
मंगल ग्रह की कृपा से, सकल मंगल हो साधन॥
रोग-क्लेश, पीड़ा हरो, विद्या-बुद्धि बढ़ाओ।
शत्रु, समस्त भय हरो, मंगल मूर्ति विराजो॥
रूद्र रूप धर, दानव दलन, आप विनाशक दुष्ट।
शत्रु नाश, भय निवारण, मंगल भव भय हर्ता॥
धीर, वीर, मंगल रूप, संकट में संगी।
मंगलग्रह की कृपा से, सब मनोरथ पूर हो॥
शिव के चरणों में शीश नवायें, सुर मुनिजन वन्दित।
मंगल ग्रह कृपा करें, भक्त जीवन सफल हो॥
विघ्न, विपत्ति, संकट हरो, शुभ मंगल करि।
मंगल चालीसा जो पढ़े, सब संकट से मुक्त हो॥
॥दोहा॥
जय-जय मंगल मोर, कृपा करो गुरु देव।
संकट सब हर हरो, करि मंगल सदा सेव॥
|| इति संपूर्णंम् ||
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श्री मंगल चालीसा: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ
श्री मंगल चालीसा मंगल ग्रह की महिमा और कृपा को समर्पित एक भक्ति स्तुति है। मंगल ग्रह को साहस, शक्ति, और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। यह चालीसा सभी प्रकार के मंगल दोष और अशुभ ग्रह योगों को शांत करने में सहायक होती है। श्री मंगल चालीसा का पाठ जीवन से नकारात्मक प्रभावों को समाप्त कर, सुख-समृद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करता है।
मंगल ग्रह की पूजा विधि
पूजा का समय:
- मंगल ग्रह की पूजा के लिए सबसे शुभ दिन मंगलवार है।
- सूर्योदय से पहले या सुबह के समय पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
पूजा सामग्री:
- लाल वस्त्र, लाल पुष्प, और चंदन।
- गुड़, मिश्री, और लाल मिठाई।
- मिट्टी का दीपक और सरसों का तेल।
- माला और मंगल यंत्र।
पूजा प्रक्रिया:
1. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और पवित्र जल छिड़कें।
2. मंगल ग्रह का यंत्र स्थापित करें और दीपक जलाएं।
3. चंदन और लाल पुष्प अर्पित करें।
4. "ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
5. श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री मंगल चालीसा का पाठ करें।
6. अंत में भगवान मंगलदेव से सभी कष्टों और दोषों के निवारण की प्रार्थना करें।
श्री मंगल चालीसा के लाभ
1. मंगल दोष का निवारण: कुंडली में मौजूद मंगल दोष को शांत करता है।
2. साहस और शक्ति: मानसिक और शारीरिक बल प्रदान करता है।
3. शत्रु बाधा का नाश: शत्रुओं और विरोधियों से रक्षा करता है।
4. आर्थिक समृद्धि: जीवन में आर्थिक स्थिरता और समृद्धि लाता है।
5. वैवाहिक जीवन में शांति: वैवाहिक कलह को समाप्त कर सुखद जीवन प्रदान करता है।
6. स्वास्थ्य लाभ: रोगों और शारीरिक कष्टों का निवारण करता है।
7. आध्यात्मिक जागृति: व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति प्रदान करता है।
8. कार्य में सफलता: सभी कार्यों में सफलता सुनिश्चित करता है।
मंगल ग्रह के मंत्र
बीज मंत्र:
"ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।"
गायत्री मंत्र:
"ॐ अंगारकाय विद्महे शक्ति हस्ताय धीमहि। तन्नो भौमः प्रचोदयात्।"
शांति मंत्र:
"ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।"
श्री मंगल चालीसा के शुभ अवसर
1. मंगलवार: मंगल ग्रह की पूजा और चालीसा पाठ के लिए सबसे शुभ दिन है।
2. विशेष ज्योतिष उपाय: जब कुंडली में मंगल दोष हो।
3. नवरात्रि: नवरात्रि के दौरान मंगल ग्रह की पूजा का महत्व अधिक होता है।
4. विवाह संबंधित समस्या: वैवाहिक जीवन में शांति के लिए मंगल चालीसा का पाठ करें।
5. कार्य आरंभ: किसी नए कार्य की शुरुआत मंगल ग्रह की कृपा से करें।
6. आर्थिक संकट: धन संबंधी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए मंगल ग्रह की पूजा करें।
7. स्वास्थ्य लाभ: स्वास्थ्य से संबंधित परेशानियों को दूर करने के लिए।
मंगल चालीसा का अर्थ
॥दोहा॥जय-जय मंगल मोर, कृपा करो गुरु देव।
संकट सब हर हरो, करि मंगल सदा सेव॥
**अर्थ**: हे मंगल देव, आपकी जय हो। कृपया अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें और मेरे सभी संकटों को समाप्त करें। मुझे जीवन में सदैव मंगलकारी बनाए रखें।
॥चौपाई॥
जय मंगल ग्रह मुनि पूजित, शुभ फल दायक नाथ।
धातु रुधिर अधिदेव तम, शरणागत करे त्राण॥
**अर्थ**: हे मंगल ग्रह, आप मुनियों द्वारा पूजित और शुभ फल प्रदान करने वाले देवता हैं। आप धातु और रक्त के अधिदेवता हैं और शरण में आए भक्तों की रक्षा करते हैं।
रक्तवर्ण तन सुंदर, मस्तक मुकुट विराजत।
गदाहस्त त्रिनयन मनोहर, मंगल शुभफलदायक॥
**अर्थ**: आपका शरीर रक्तवर्ण (लाल रंग) का है और आपके सिर पर मुकुट शोभा देता है। आपके तीन नेत्र और गदा धारण करने वाला रूप सुंदर और शुभ फलदायक है।
अमित तेज, बल, मोह नाशक, पिंगल तन अति शोभित।
धरणी पुत्र अति, वैभवशाली, पाप-ताप सब हर्ता॥
**अर्थ**: आप असीम तेज और बल के स्वामी हैं, मोह (भ्रम) का नाश करने वाले हैं। आपका पिंगल (भूरा) वर्ण अत्यंत आकर्षक है। आप धरती के पुत्र हैं और पाप व कष्टों का नाश करने वाले हैं।
अस्त्र, शस्त्र, गदा धारण कर, रजत सिंह पर सवार।
सप्त धातु का हो प्रदाता, वैद्य, विद्या सुधाकर॥
**अर्थ**: आप अस्त्र-शस्त्र और गदा धारण करते हैं और चाँदी के सिंहासन पर विराजमान हैं। आप सप्त धातु (मानव शरीर की सात धातुएँ) के प्रदाता, चिकित्सा और विद्या के संरक्षक हैं।
न्यायप्रिय, धर्मरत, भूतिहारी, मंद गति से विख्यात।
कुंडली दोष, अशुभ प्रभाव, जीवन में सब हरता॥
**अर्थ**: आप न्यायप्रिय, धर्म के प्रति समर्पित और भूतों का नाश करने वाले हैं। आप मंद गति से चलते हैं और कुंडली में दोषों व अशुभ प्रभावों को समाप्त करते हैं।
राजस्थान पूजित शिरोमणि, गुरु ग्रह का आभासक।
भक्त जनों का संकट हरते, तुम शुभ मंगलकारी॥
**अर्थ**: आप राजस्थान में विशेष रूप से पूजित हैं और गुरु ग्रह (बृहस्पति) के समान प्रभावशाली हैं। आप भक्तों के संकट हरने वाले और शुभता प्रदान करने वाले हैं।
बुद्धिवर्धक, ज्ञानदायक, धर्म-अर्थ-काम प्रदायक।
तृण-ताप, विपदा हरो, करि सुखदायक मंगल॥
**अर्थ**: आप बुद्धि बढ़ाने वाले, ज्ञान प्रदान करने वाले और धर्म, अर्थ, तथा काम की प्राप्ति कराने वाले हैं। आप छोटी-छोटी परेशानियाँ और बड़ी विपत्तियाँ हरने वाले हैं।
महाबली वीर विक्रम, तापत्रय हरो अपार।
मंगल ग्रह की कृपा से, सकल मंगल हो साधन॥
**अर्थ**: आप महाबली और वीर हैं। आप तीनों प्रकार के ताप (आध्यात्मिक, भौतिक, मानसिक) हरने वाले हैं। आपकी कृपा से जीवन में सभी शुभ कार्य संभव हो जाते हैं।
रोग-क्लेश, पीड़ा हरो, विद्या-बुद्धि बढ़ाओ।
शत्रु, समस्त भय हरो, मंगल मूर्ति विराजो॥
**अर्थ**: आप रोग, कष्ट और पीड़ा का नाश करने वाले हैं। आप विद्या और बुद्धि को बढ़ाते हैं। आप शत्रुओं और सभी प्रकार के भय का नाश करने वाले मंगल रूप में प्रतिष्ठित हैं।
रूद्र रूप धर, दानव दलन, आप विनाशक दुष्ट।
शत्रु नाश, भय निवारण, मंगल भव भय हर्ता॥
**अर्थ**: आप रूद्र रूप धारण करके दानवों का संहार करते हैं। आप दुष्टों के विनाशक हैं। आपकी कृपा से शत्रुओं का नाश होता है और भय दूर हो जाता है। आप जन्म-मरण के भय को हरने वाले मंगल देव हैं।
धीर, वीर, मंगल रूप, संकट में संगी।
मंगलग्रह की कृपा से, सब मनोरथ पूर हो॥
**अर्थ**: आप धैर्य और वीरता के प्रतीक हैं। आप संकट के समय अपने भक्तों के सहायक बनते हैं। मंगल ग्रह की कृपा से सभी इच्छाएँ और मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं।
शिव के चरणों में शीश नवायें, सुर मुनिजन वन्दित।
मंगल ग्रह कृपा करें, भक्त जीवन सफल हो॥
**अर्थ**: आप भगवान शिव के चरणों में शीश नवाते हैं। देवता और मुनि आपकी वंदना करते हैं। आपकी कृपा से भक्तों का जीवन सफल और आनंदमय हो जाता है।
विघ्न, विपत्ति, संकट हरो, शुभ मंगल करि।
मंगल चालीसा जो पढ़े, सब संकट से मुक्त हो॥
**अर्थ**: आप विघ्न, विपत्तियाँ, और संकट दूर करते हैं और जीवन में शुभता लाते हैं। जो व्यक्ति मंगल चालीसा का पाठ करता है, वह सभी संकटों से मुक्त हो जाता है।
निष्कर्ष
मंगल चालीसा और उनकी पूजा विधि मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को शांत करती है और जीवन में शुभता लाती है। यह चालीसा साहस, शक्ति, और आत्मबल प्रदान करती है। नियमित पाठ और पूजा से जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और भक्त को सफलता व समृद्धि प्राप्त होती है।
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