Arti Krishna Kanhaiya Ki
मथुरा कारागृह अवतारी, गोकुल जसुदा गोद विहारी।नन्दलाल नटवर गिरधारी, वासुदेव हलधर भैया की॥
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।...
मोर मुकुट पीताम्बर छाजै, कटि काछनि, कर मुरलि विराजै।
पूर्ण सरक ससि मुख लखि लाजै, काम कोटि छवि जितवैया की॥
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।...
गोपीजन रस रास विलासी, कौरव कालिय, कन्स बिनासी।
हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी, सर्वभूत हिय बसवैया की॥
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।...
कहुँ रन चढ़ै भागि कहुँ जावै, कहाँ नृप कर, कहाँ गाय चरावै।
कहाँ जागेस, बेद जस गावै, जग नचाय ब्रज नचवैया की॥
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।...
अगुन सगुन लीला बपु धारी, अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी।
दामोदर सब विधि बलिहारी, विप्र धेनु सुर रखवैया की॥
आरती श्रीकृष्ण कन्हैया की।...
|| इति संपूर्णंम् ||
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श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ
पूजा विधि
1. श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: पूजा का समय:
- श्रीकृष्ण जी की आरती सुबह और शाम दोनों समय करना शुभ होता है।
- विशेष अवसरों पर जैसे जन्माष्टमी, राधाष्टमी और गोवर्धन पूजा के दिन आरती करना अत्यंत फलदायी माना जाता है।
2. आवश्यक सामग्री:
- भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा या चित्र।
- पीले और सफेद फूल, तुलसी के पत्ते।
- माखन, मिश्री, दूध, और पंचामृत।
- अगरबत्ती, दीपक, और कपूर।
- मुरली और मोर पंख विशेष रूप से अर्पित करें।
3.श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: पूजा की प्रक्रिया:
- पूजा स्थल को साफ और स्वच्छ रखें।
- श्रीकृष्ण जी की प्रतिमा को गंगाजल और दूध से स्नान कराएं।
- उन्हें पीले वस्त्र पहनाएं और मोर मुकुट से सजाएं।
- दीपक जलाएं और अगरबत्ती अर्पित करें।
- मुरली बजाते हुए "श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती" का गायन करें।
- अंत में माखन और मिश्री का भोग लगाएं और भक्तों में प्रसाद वितरित करें।
श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: लाभ
1. आध्यात्मिक जागृति: श्रीकृष्ण जी की आरती से आत्मा को शांति और मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है।
2. आर्थिक समृद्धि: भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है।
3. संकट निवारण: उनकी आरती से जीवन के सभी संकट और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं।
4. प्रेम और सौहार्द: भगवान श्रीकृष्ण की पूजा से जीवन में प्रेम, सौहार्द और सकारात्मकता का संचार होता है।
5. मोक्ष की प्राप्ति: उनकी आरती और भजन से भक्तों को जीवन-मरण के चक्र से मुक्ति प्राप्त होती है।
श्री कृष्ण कन्हैया: मंत्र
1. ध्यान मंत्र:
"ॐ श्रीकृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।
प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः॥"
2. स्तुति मंत्र:
"ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।"
श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: शुभ अवसर
1. जन्माष्टमी: भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिवस पर उनकी आराधना और आरती अत्यंत शुभ होती है।
2. राधाष्टमी: इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा विशेष रूप से फलदायी मानी जाती है।
3. गोवर्धन पूजा: गोवर्धन पर्वत की पूजा करते समय श्रीकृष्ण जी की आरती करें।
4. गीता जयंती: इस पावन अवसर पर श्रीकृष्ण जी की आरती से उनके ज्ञान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती: अर्थ
श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती उनके दिव्य स्वरूप और लीलाओं की महिमा का वर्णन करती है। उनकी आरती में यह बताया गया है कि वे मथुरा के कारागृह में जन्मे, गोकुल में यशोदा मैया की गोद में पले, और नंदलाल के रूप में प्रसिद्ध हुए। उनका मोर मुकुट और मुरली बजाने वाला स्वरूप प्रेम और करुणा का प्रतीक है। आरती के माध्यम से श्रीकृष्ण जी के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन किया गया है, जैसे गोपियों के प्रिय, रासलीला के नायक, और कंस जैसे अधर्मियों का नाश करने वाले। उनकी छवि, जिसमें कस्तूरी तिलक और चंद्र के समान मुख है, भक्तों को उनकी ओर आकर्षित करती है। वे हिमकर (चंद्रमा), भानु (सूर्य), और कृसानु (अग्नि) की भांति तेजस्वी हैं। आरती में उनके "अगुण और सगुण" स्वरूपों का वर्णन किया गया है। वे सगुण रूप में मुरली बजाने वाले और गोवर्धन उठाने वाले हैं, जबकि अगुण रूप में वे अद्वितीय और निराकार ईश्वर हैं। उनकी उपासना से भक्तों को प्रेम, भक्ति, और आत्मज्ञान की प्राप्ति होती है।
आरती का सारांश:
भगवान श्री कृष्ण का अवतार और स्वरूप
"मथुरा कारागृह अवतारी, गोकुल जसुदा गोद विहारी।"भगवान श्री कृष्ण का जन्म मथुरा के कारागृह में हुआ था और वे गोकुल में माँ यशोदा की गोदी में खेलते थे।
"नन्दलाल नटवर गिरधारी, वासुदेव हलधर भैया की॥"
श्री कृष्ण नन्दलाल, नटवर, और गिरधारी के रूप में विख्यात हैं। वे वासुदेव के हलधर भाई हैं।
भगवान श्री कृष्ण की विशेषताएँ
"मोर मुकुट पीताम्बर छाजै, कटि काछनि, कर मुरलि विराजै।"श्री कृष्ण के सिर पर मोर मुकुट और पीताम्बर होता है। उनके कटि (कमर) पर काछनी और हाथ में मुरली है।
"पूर्ण सरक ससि मुख लखि लाजै, काम कोटि छवि जितवैया की॥"
श्री कृष्ण का मुख पूर्ण चंद्रमा के समान चमकदार है, और उनकी छवि लाखों कामनाओं को जीतने वाली है।
श्री कृष्ण की लीलाएँ और प्रभाव
"गोपीजन रस रास विलासी, कौरव कालिय, कन्स बिनासी।"भगवान श्री कृष्ण गोपीजन के साथ रासलीला करते हैं और कौरव, कालिय और कंस जैसे दुष्टों को नष्ट करते हैं।
"हिमकर भानु, कृसानु प्रकासी, सर्वभूत हिय बसवैया की॥"
श्री कृष्ण सूर्य और चंद्रमा के समान प्रकाशवान हैं और सभी प्राणियों के हृदय में निवास करते हैं।
श्री कृष्ण का जीवन और कार्य
"कहुँ रन चढ़ै भागि कहुँ जावै, कहाँ नृप कर, कहुँ गाय चरावै।"श्री कृष्ण युद्ध में जाते हैं, राजा के कार्य करते हैं और गायों को चराते हैं।
"कहुँ जागेस, वेद जस गावै, जग नचाय ब्रज नचवैया की॥"
श्री कृष्ण ज्ञान और वेदों का प्रचार करते हैं और पूरी दुनिया को नचाते हैं।
श्री कृष्ण की उपदेश और आरती
"अगुन सगुन लीला बपु धारी, अनुपम गीता ज्ञान प्रचारी।"भगवान श्री कृष्ण निर्गुण और सगुण रूप में लीलाएँ करते हैं और गीता का ज्ञान फैलाते हैं।
"दामोदर सब विधि बलिहारी, विप्र धेनु सुर रखवैया की॥"
श्री कृष्ण दामोदर हैं और वे सभी विधियों से बलिहारी हैं। वे ब्राह्मणों, गायों, और देवताओं की रक्षा करते हैं।
श्री कृष्ण कान्हैया जी की आरती का प्रभाव:
सुख और समृद्धिश्री कृष्ण की आरती करने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।
मन की शांति
आरती का पाठ भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्रदान करता है। यह मन को शांति और स्थिरता देने में मदद करता है।
धार्मिक और सामाजिक एकता
श्री कृष्ण की आरती सामूहिक पूजा का हिस्सा होती है, जो सामाजिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देती है।
आध्यात्मिक लाभ:
श्री कृष्ण कान्हैया जी की आरती का आध्यात्मिक उन्नति
श्री कृष्ण की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। भक्तों की भक्ति और समर्पण में वृद्धि होती है, और वे भगवान श्री कृष्ण के मार्ग पर चलते हैं।ज्ञान और समझ
आरती के माध्यम से भक्त श्री कृष्ण की गीता के ज्ञान को समझते हैं, जिससे उनकी आध्यात्मिक समझ और ज्ञान में वृद्धि होती है।
आशीर्वाद की प्राप्ति
नियमित रूप से आरती करने से भगवान श्री कृष्ण के आशीर्वाद को प्राप्त किया जाता है। यह आशीर्वाद जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाता है।
निष्कर्ष
श्री कृष्ण कन्हैया जी की आरती भगवान श्रीकृष्ण के प्रति समर्पण का प्रतीक है। यह आरती उनके दिव्य स्वरूप और लीलाओं की महिमा का गुणगान करती है। उनकी आराधना से जीवन में सुख, शांति, और सफलता प्राप्त होती है। श्रीकृष्ण जी की आरती से भक्तों को संकटों से मुक्ति मिलती है और उनका जीवन प्रेम, भक्ति, और सकारात्मकता से परिपूर्ण होता है।
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