Chalisa Arti Paath & Stuti Mantra & Japa Festivals Vart & Katha Dharmik Blog

Shri Banke BihariJi Ki Arti Lyrics

श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुंदर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे।
प्यारी बंशी मेरो मन मोहे।
देखि छवि बलिहारी जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

चरणों से निकली गंगा प्यारी।
जिसने सारी दुनिया तारी।
मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

दास अनाथ के नाथ आप हो।
दुःख सुख जीवन प्यारे साथ हो।
हरि चरणों में शीश नवाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

श्री हरि दास के प्यारे तुम हो।
मेरे मोहन जीवन धन हो।
देखि युगल छवि बलि-बलि जाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

आरती गाऊँ प्यारे तुमको रिझाऊँ।
हे गिरिधर तेरी आरती गाऊँ।
श्री श्यामसुंदर तेरी आरती गाऊँ।
श्री बाँकेबिहारी तेरी आरती गाऊँ॥...2

|| इति संपूर्णंम् ||


श्री बाँके बिहारी जी की आरती का महत्व

श्री बाँके बिहारी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:

श्री बाँके बिहारी की आरती भगवान श्री कृष्ण के प्रति भक्ति और श्रद्धा को व्यक्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसमें भगवान श्री कृष्ण के विभिन्न रूपों और उनके दिव्य गुणों की प्रशंसा की जाती है:

भगवान श्री कृष्ण की आरती

"श्री बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ" - आरती के माध्यम से भक्त भगवान श्री कृष्ण, जो बाँके बिहारी के रूप में पूजे जाते हैं, की आरती गाते हैं और उनकी स्तुति करते हैं।
"कुन्जबिहारी तेरी आरती गाऊँ" - भगवान श्री कृष्ण को कुन्जबिहारी के रूप में भी पूजा जाता है, जो ब्रजभूमि में रहते हैं।

भगवान की विशेषताएँ

"मोर मुकुट प्रभु शीश पे सोहे" - भगवान श्री कृष्ण के सिर पर मोरपंख की मुकुट है, जो उनकी सुंदरता और वैभव को दर्शाता है।
"प्यारी बंशी मेरो मन मोहे" - भगवान श्री कृष्ण की बंशी की मधुर ध्वनि भक्तों के मन को मोहित करती है।

भगवान की कृपा और दिव्यता

"चरणों से निकली गंगा प्यारी" - भगवान श्री कृष्ण के चरणों से गंगा नदी प्रकट हुई है, जो पूरी दुनिया को तरण देने वाली मानी जाती है।
"मैं उन चरणों के दर्शन पाऊँ" - भक्त भगवान श्री कृष्ण के पवित्र चरणों के दर्शन करने की इच्छा व्यक्त करते हैं।

भक्त की भक्ति और समर्पण

"दास अनाथ के नाथ आप हो" - भगवान श्री कृष्ण दीन-हीन और अनाथ भक्तों के नाथ हैं।
"हरि चरणों में शीश नवाऊँ" - भक्त भगवान श्री कृष्ण के चरणों में अपना सिर झुकाते हैं और उन्हें प्रणाम करते हैं।

आध्यात्मिक प्रेम और समर्पण

"श्री हरि दास के प्यारे तुम हो" - भगवान श्री कृष्ण श्री हरि दास के प्यारे हैं और भक्तों के जीवन के धन हैं।
"श्री बाँके बिहारी तेरी आरती गाऊँ" - आरती में भक्त भगवान श्री कृष्ण की उपासना और उनके प्रति प्रेम व्यक्त करते हैं।

आरती का प्रभाव:

भक्ति और श्रद्धा का अभिवर्धन

भगवान श्री कृष्ण की आरती गाने से भक्तों की भक्ति और श्रद्धा में वृद्धि होती है। यह एक दिव्य अनुभव प्रदान करती है और भगवान के प्रति प्रेम को प्रबल बनाती है।

आध्यात्मिक शांति

आरती का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह उनके आत्मा को शांति और आनंद प्रदान करती है।

भगवान की कृपा की प्राप्ति

आरती के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।

भगवान श्री कृष्ण की आरती के आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति

श्री बाँके बिहारी की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उन्हें भगवान के करीब लाती है और उनकी भक्ति में वृद्धि करती है।

धार्मिक एकता

आरती के माध्यम से धार्मिक एकता और सामूहिक भक्ति की भावना को प्रोत्साहन मिलता है। यह भक्तों को एकजुट करती है और उनके मन को शांत करती है।

जीवन में सौभाग्य और समृद्धि

नियमित रूप से आरती करने से भगवान श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सौभाग्य और समृद्धि लाती है। यह भक्तों को जीवन की बाधाओं और समस्याओं से उबारती है।

सारांश में: श्री बाँके बिहारी की आरती भगवान श्री कृष्ण की स्तुति करती है और उनके दिव्य गुणों को मान्यता देती है। यह आरती भक्तों को आध्यात्मिक शांति, सुख, और समृद्धि प्रदान करती है, और भगवान के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को प्रकट करती है।

यहां से आप अन्य पेज पर जा सकते हैं:


Rahu Dosh

राहु के प्रभाव और उसके उपायों के बारे में जानें


शनि की साढ़े साती का प्रभाव

जानें कैसे राशियां इन कठिन चरणों से गुजर रही हैं।


क्या हनुमान जी आज भी हमारे बीच हैं?

उनकी अमरता का ऐसा रहस्य जिसे जानकर आप हैरान रह जाएंगे।


काल भैरव मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

जानें वाराणसी का वह दिव्य स्थल, जहां हर मनोकामना पूर्ण होती है।


काल भैरव मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

जानें उज्जैन का रहस्यमय कोतवाल और अद्भुत धार्मिक स्थल


Mahakumbh 2025

इस पवित्र संगम में स्नान कर जानिए मोक्ष का मार्ग, संतों का आशीर्वाद और इस आयोजन की आध्यात्मिक गहराई।

नवंबर और दिसंबर 2024 में विवाह के लिए शुभ मुहूर्त

शादी की तारीख तय करने से पहले पढ़ें!