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Shri Shiv Ji Ki Arti Lyrics

ॐ जय शिव ओंकारा,
स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,
अर्द्धांगी धारा।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

एकानन चतुरानन
पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन
वृषवाहन साजे।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

दो भुज चार चतुर्भुज
दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते
त्रिभुवन जन मोहे।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

अक्षमाला वनमाला
मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी
कर माला धारी।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

श्वेताम्बर पीताम्बर
बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक
भूतादिक संगे।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

कर के मध्य कमण्डलु
चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी
जगपालन कारी।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्यये
तीनों एका।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

लक्ष्मी व सावित्री
पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी,
शिवलहरी गंगा।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

पर्वत सोहैं पार्वती,
शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन,
भस्मी में वासा।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

जटा में गंगा बहत है,
गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत,
ओढ़त मृगछाला।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

काशी में विराजे विश्वनाथ,
नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत,
महिमा अति भारी।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2

त्रिगुणस्वामी जी की आरती
जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
मनवान्छित फल पावे।

ॐ जय शिव ओंकारा॥...2
|| इति संपूर्णंम् ||


श्री शिव जी की आरती का महत्व

श्री शिव जी की आरती का सारांश, प्रभाव, और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:

श्री शिव जी की आरती भगवान शिव के भव्य और दिव्य स्वरूप की प्रशंसा करती है। यह आरती भगवान शिव की विभिन्न विशेषताओं और उनके समग्र व्यक्तित्व का वर्णन करती है:

भगवान शिव का स्वरूप

आरती में भगवान शिव को "ॐ जय शिव ओंकारा" के उद्घोष के साथ प्रशंसा की जाती है। भगवान शिव को ब्रह्मा, विष्णु, और सदाशिव के एकत्रित रूप में प्रस्तुत किया गया है, और उनकी अर्द्धांगी (पार्वती) के साथ युग्मता का वर्णन किया गया है।

भगवान शिव की विभिन्न विशेषताएँ

"एकानन चतुराननपञ्चानन राजे" - भगवान शिव को एकमुख, चारमुख, और पंचमुख रूप में प्रस्तुत किया गया है।
"हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे" - भगवान शिव को हंस, गरूड़, और वृषभ (बैल) की सवारी के साथ प्रस्तुत किया गया है।

भगवान शिव की आभूषण और वस्त्र

"अक्षमाला वनमालामुण्डमाला धारी" - भगवान शिव के पास अक्षमाला (माला), वनमाला (फूलों की माला), और मुण्डमाला (खोपड़ी की माला) हैं।
"श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे" - भगवान शिव को श्वेत (सफेद), पीत (पीला) वस्त्र और बाघम्बर (बाघ की त्वचा) की आभूषण पहनाए गए हैं।

भगवान शिव की पूजा और आराधना

"कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी" - भगवान शिव के हाथ में कमण्डलु (पानी का बर्तन), चक्र, और त्रिशूल हैं।
"सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी" - भगवान शिव सुख देने वाले और दुख दूर करने वाले हैं, और जगत के पालक हैं।

भगवान शिव की महिमा

"काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी" - भगवान शिव काशी में विश्वनाथ के रूप में विराजमान हैं और नन्दी उनके ब्रह्मचारी वाहन हैं।
"नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी" - जो व्यक्ति भगवान शिव के दर्शन करते हैं, उन्हें बड़ी महिमा प्राप्त होती है।

श्री शिव जी की आरती का प्रभाव:

विघ्नों का नाश

भगवान शिव की आरती से जीवन की सभी विघ्न और बाधाएँ दूर होती हैं। भगवान शिव विघ्नहर्ता हैं और उनकी आरती से समस्याओं का समाधान होता है।

आध्यात्मिक शांति और सुख

आरती का पाठ भक्तों को मानसिक शांति और सुख प्रदान करता है। भगवान शिव की पूजा से मन को संतोष मिलता है और आंतरिक शांति अनुभव होती है।

आशीर्वाद की प्राप्ति

भगवान शिव की आरती करने से भक्तों को उनके आशीर्वाद प्राप्त होते हैं। यह जीवन में समृद्धि, सुख, और सफलता को लाने का एक माध्यम है।

श्री शिव जी की आरती का आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति

भगवान शिव की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। आरती का नियमित पाठ भक्ति और समर्पण को बढ़ावा देता है।

सकारात्मक ऊर्जा

आरती करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो जीवन में खुशहाली और समृद्धि को बढ़ावा देती है।

भक्ति और समर्पण में वृद्धि

आरती से भक्तों की भगवान शिव के प्रति भक्ति और समर्पण में वृद्धि होती है, जिससे आध्यात्मिक यात्रा को आगे बढ़ाया जा सकता है।

सारांश में:

श्री शिव जी की आरती भगवान शिव की विशेषताओं और महिमा का वर्णन करती है। यह आरती जीवन की समस्याओं को दूर करती है, मानसिक शांति प्रदान करती है, और भक्तों को भगवान शिव के आशीर्वाद और कृपा प्राप्त करने में मदद करती है।

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