Guru Chalisa
॥ दोहा ॥श्री गणेश गुरुवर वंदना, जो सत चित्त सुखदाय।
विघ्न हरन मंगल करन, शुभ वरदायक माय॥
॥ चौपाई ॥
जयति जयति देव दयाला।
सद्गुरु सुकृत प्रतिपाला॥
सिर पर मुकुट सिर शोभित भारी।
त्रिपुण्ड चंदन रेखा प्यारी॥
गरल कण्ठ, सर्प की माला।
कृपानिधान कृपा विष्तारा॥
शांत स्वभाव मंगलकारी।
सद्गुरु नाथ अति हितकारी॥
संत भक्त के संकट हारी।
विघ्न विनाशक मंगलकारी॥
प्रणवउं नाथ सकल गुण सागर।
विविध विघ्न हरन सुखदायक॥
शुद्ध भाव से जो जन गावें।
सुख सम्पत्ति अनायास पावें॥
ध्यान धरें गुरुदेव सदा जो।
जनम मरन भव बन्धन तजो॥
मुक्ति मार्ग का यह उपाय।
करें साधना सदा सुहाय॥
शरणागत के कष्ट मिटावें।
करुणा सागर सब सुखदायें॥
जग में दीन दुखी सब नाथ।
प्रणवउं नाथ सकल विघ्न हारी॥
रोग शोक को दूर भगावें।
निर्धन के सब कष्ट मिटावें॥
सुमिरन कर गुरु जो नर गावे।
धन धान्य परिवार बढावें॥
कृपा दृष्टि हो जाको सदा ही।
सुख सम्पत्ति होय घर माहीं॥
शुद्ध भाव से जो नर गावें।
अति आनन्द प्रभु के पावें॥
ध्यान धरें गुरुदेव सदा जो।
सुख सम्पत्ति अनायास पावें॥
शरणागत के कष्ट मिटावें।
करुणा सागर सब सुखदायें॥
प्रणवउं नाथ सकल गुण सागर।
विविध विघ्न हरन सुखदायक॥
मुक्ति मार्ग का यह उपाय।
करें साधना सदा सुहाय॥
जय जय जय श्री गुरुवर गुणी।
जयति जयति दीनदयालु कृपानी॥
सिर पर मुकुट सिर शोभित भारी।
त्रिपुण्ड चंदन रेखा प्यारी॥
गरल कण्ठ, सर्प की माला।
कृपानिधान कृपा विष्तारा॥
शांत स्वभाव मंगलकारी।
सद्गुरु नाथ अति हितकारी॥
संत भक्त के संकट हारी।
विघ्न विनाशक मंगलकारी॥
प्रणवउं नाथ सकल गुण सागर।
विविध विघ्न हरन सुखदायक॥
शुद्ध भाव से जो जन गावें।
सुख सम्पत्ति अनायास पावें॥
ध्यान धरें गुरुदेव सदा जो।
जनम मरन भव बन्धन तजो॥
मुक्ति मार्ग का यह उपाय।
करें साधना सदा सुहाय॥
शरणागत के कष्ट मिटावें।
करुणा सागर सब सुखदायें॥
जग में दीन दुखी सब नाथ।
प्रणवउं नाथ सकल विघ्न हारी॥
रोग शोक को दूर भगावें।
निर्धन के सब कष्ट मिटावें॥
सुमिरन कर गुरु जो नर गावे।
धन धान्य परिवार बढावें॥
कृपा दृष्टि हो जाको सदा ही।
सुख सम्पत्ति होय घर माहीं॥
शुद्ध भाव से जो नर गावें।
अति आनन्द प्रभु के पावें॥
ध्यान धरें गुरुदेव सदा जो।
सुख सम्पत्ति अनायास पावें॥
शरणागत के कष्ट मिटावें।
करुणा सागर सब सुखदायें॥
प्रणवउं नाथ सकल गुण सागर।
विविध विघ्न हरन सुखदायक॥
मुक्ति मार्ग का यह उपाय।
करें साधना सदा सुहाय॥
जय जय जय श्री गुरुवर गुणी।
जयति जयति दीनदयालु कृपानी॥
सिर पर मुकुट सिर शोभित भारी।
त्रिपुण्ड चंदन रेखा प्यारी॥
॥ दोहा ॥
करहुं कृपा दीनदयालु, जय गुरुदेव सहाय।
नमो नमो जय गुरुवर, कृपा करहुं हरहुं भय॥
|| इति संपूर्णंम् ||
श्री गुरु चालीसा: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ
श्री गुरु चालीसा सद्गुरु की महिमा और उनके आशीर्वाद को समर्पित एक भक्ति रचना है। सद्गुरु को सच्चे मार्गदर्शक, ज्ञान का स्रोत और मोक्ष का माध्यम माना जाता है। उनकी पूजा और चालीसा का पाठ जीवन के अज्ञान को दूर कर शांति, सफलता और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। यह चालीसा भक्तों को समर्पण और भक्ति के साथ सद्गुरु की महिमा गाने का अवसर प्रदान करती है।
गुरु की पूजा विधि
पूजा का समय:
- सद्गुरु की पूजा के लिए प्रातःकाल का समय सर्वोत्तम है।
- पूर्णिमा और गुरुवार का दिन विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
पूजा सामग्री:
- शुद्ध जल और सफेद पुष्प।
- चंदन और अगरबत्ती।
- घी का दीपक।
- गुरुदेव की प्रतिमा या चित्र।
- मौन ध्यान और गुरु मंत्र।
पूजा प्रक्रिया:
1. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और शांत वातावरण बनाएं।
2. सद्गुरु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
3. दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा प्रारंभ करें।
4. जल, चंदन, और पुष्प अर्पित करें।
5. "ॐ गुरु देवाय नमः" मंत्र का जाप 108 बार करें।
6. श्रद्धा और भक्ति से श्री गुरु चालीसा का पाठ करें।
7. पूजा समाप्ति पर गुरु की कृपा और मार्गदर्शन की प्रार्थना करें।
श्री गुरु चालीसा के लाभ
1. ज्ञान और बौद्धिक उन्नति: सद्गुरु की कृपा से व्यक्ति को जीवन का सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है।
2. मन की शांति: सद्गुरु की भक्ति से मानसिक अशांति और तनाव का नाश होता है।
3. आध्यात्मिक जागृति: गुरु चालीसा का पाठ आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति में सहायक होता है।
4. जीवन की कठिनाइयों का निवारण: गुरु का आशीर्वाद जीवन के सभी संकटों और बाधाओं को दूर करता है।
5. समृद्धि और सफलता: सद्गुरु की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक और सामाजिक समृद्धि आती है।
6. मोक्ष की प्राप्ति: गुरु की कृपा से जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है।
7. सकारात्मक ऊर्जा: गुरु की भक्ति से जीवन में सकारात्मकता और शांति का अनुभव होता है।
गुरु के मंत्र
बीज मंत्र:
"ॐ गुरु देवाय नमः।"
गायत्री मंत्र:
"ॐ गुरवे सर्वलोकानां भिषजे भवरोगिणाम्। निधये सर्वविद्यानां दक्षिणामूर्तये नमः।"
शांति मंत्र:
"ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।"
श्री गुरु चालीसा के शुभ अवसर
1. गुरुवार: यह दिन गुरु की पूजा और आराधना के लिए सर्वोत्तम है।
2. गुरु पूर्णिमा: सद्गुरु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन पूजा करें।
3. शिक्षा की शुरुआत: किसी भी नए ज्ञान या शिक्षा की शुरुआत में गुरु का आशीर्वाद लें।
4. संकट के समय: जीवन की कठिनाइयों को दूर करने के लिए गुरु चालीसा का पाठ करें।
5. आध्यात्मिक साधना: ध्यान और साधना में सफलता पाने के लिए गुरु की आराधना करें।
6. शुभ कार्य की योजना: किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत में गुरु का स्मरण करें।
श्री गुरु चालीसा का अर्थ
**दोहा का अर्थ:**
- **"श्री गणेश गुरुवर वंदना, जो सत चित्त सुखदाय।"**
अर्थ: श्री गणेश और सद्गुरु को प्रणाम, जो सच्चे आनंद और सुख के दाता हैं।
- **"विघ्न हरन मंगल करन, शुभ वरदायक माय।"**
अर्थ: सद्गुरु सभी बाधाओं को हरने वाले, मंगलकारी और शुभ वरदान देने वाले हैं।
**चौपाई का अर्थ:**
गुरु चालीसा में सद्गुरु के शांत, दयालु, और कल्याणकारी स्वरूप का वर्णन है। उनकी कृपा से सभी प्रकार के कष्ट और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। गुरु चालीसा का नियमित पाठ करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक शांति, आत्मिक उन्नति, और जीवन में सफलता प्राप्त होती है। सद्गुरु की भक्ति से व्यक्ति को ज्ञान, समृद्धि, और मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है।
निष्कर्ष
श्री गुरु चालीसा और उनकी पूजा विधि व्यक्ति को ज्ञान, शांति, और सफलता प्रदान करती है। सद्गुरु की कृपा से जीवन के सभी संकट समाप्त होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि आती है। गुरु की भक्ति से जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक उन्नति होती है, और व्यक्ति मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर होता है।
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