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Shri Saraswati Mata Ji Ki Arti Lyrics

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥...

चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥...

बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
जय सरस्वती माता॥...

देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥...

विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥...

धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥...

माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥...

जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

जय सरस्वती माता॥...

|| इति संपूर्णंम् ||


श्री सरस्वती माता जी की आरती का महत्व

श्री सरस्वती माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव, और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:

सरस्वती माता की आरती एक भक्ति गीत है, जिसमें माता सरस्वती की पूजा और स्तुति की जाती है। इस आरती में माता सरस्वती के गुण, स्वरूप, और उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की गई है:

माता सरस्वती का स्वरूप:

"जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता" - माता सरस्वती की स्तुति और उनके गुणों की प्रशंसा की जाती है।
"सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता" - माता सरस्वती सदगुणों से युक्त और शालिनी हैं, और तीनों लोकों में प्रसिद्ध हैं।

माता सरस्वती की विशेषताएँ:

"चन्द्रवदनी पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी" - माता सरस्वती का चेहरा चंद्रमा के समान चमकदार है और वे शुभता की प्रतीक हैं।
"बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला" - माता सरस्वती एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में माला धारण करती हैं। उनके सिर पर मुकुट और गले में मोतियों की माला है।

माता की पूजा और उनके कार्य:

"देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया" - जो भी भक्त माता सरस्वती की शरण में आता है, उसका उद्धार होता है।
"पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया" - माता सरस्वती ने मंथरा दासी के माध्यम से रावण का संहार किया और भक्तों के जीवन से कष्ट दूर किए।

ज्ञान और विद्या की देवी:

"विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो" - माता सरस्वती विद्या और ज्ञान की देवी हैं, जो ज्ञान का प्रकाश फैलाती हैं और अज्ञानता का नाश करती हैं।
"मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो" - माता सरस्वती से प्रार्थना की जाती है कि वे मोह, अज्ञान, और अंधकार को दूर करें।

आरती की प्रभाविता:

"धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो" - भक्त माता सरस्वती को धूप, दीप, फल, और मेवे अर्पित करते हैं और उनकी कृपा की प्रार्थना करते हैं।
"ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो" - माता से ज्ञानचक्षु प्राप्त करने और दुनिया को निस्तार करने की प्रार्थना की जाती है।

श्री सरस्वती माता जी की आरती का आरती के लाभ:

ज्ञान की प्राप्ति:

माता सरस्वती की आरती से भक्तों को विद्या और ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह आरती शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होती है।

बुद्धि और समझ में वृद्धि:

आरती से बुद्धि और समझ में वृद्धि होती है। माता सरस्वती की कृपा से मानसिक स्पष्टता और संतुलन प्राप्त होता है।

सुख और समृद्धि:

माता सरस्वती की आरती से जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का अनुभव होता है। यह आरती मानसिक शांति और संतोष प्रदान करती है।

श्री सरस्वती माता जी की आरती का आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति:

माता सरस्वती की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह आरती भक्तों की भक्ति और समर्पण में वृद्धि करती है।

मनोबल और आत्म-संयम:

आरती का पाठ मनोबल और आत्म-संयम में वृद्धि करता है। इससे मानसिक शक्ति और आत्म-संयम को बढ़ावा मिलता है।

अज्ञानता का नाश:

माता सरस्वती से प्रार्थना करने से अज्ञानता, मोह, और भ्रम का नाश होता है। यह आरती भक्तों को ज्ञान के प्रकाश से अवगत कराती है और जीवन को स्पष्टता प्रदान करती है।

सारांश में:

सरस्वती माता की आरती भक्तों को ज्ञान, बुद्धि, और मानसिक शांति प्रदान करती है। यह आरती माता सरस्वती की महिमा का वर्णन करती है और उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण साधन है। आरती से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति, सुख, और समृद्धि प्राप्त होती है।

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