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Shri Shani Dev Ji Ki Arti

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी।

जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
निलाम्बर धार नाथ गज की असवारी।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥...
क्रीट मुकुट शीश सहज दीपत है लिलारी।
मुक्तन की माल गले शोभित बलिहारी।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥...
मोदक और मिष्ठान चढ़े, चढ़ती पान सुपारी।
लोहा, तिल, तेल, उड़द महिषी है अति प्यारी।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥...
देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान हम हैं शरण तुम्हारी।
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी॥...

|| इति संपूर्णंम् ||



श्री शनि देव जी की आरती: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ


श्री शनि देव जी की आरती भगवान शनि को समर्पित है, जिन्हें कर्मफलदाता और न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। शनि देव को समर्पित आरती और पूजा उनके आशीर्वाद से जीवन की सभी बाधाओं और कष्टों को दूर करने में सहायक होती है। यह आरती उनके दिव्य स्वरूप, करुणा, और उनकी कृपा के प्रभाव को व्यक्त करती है।


शनि देव की पूजा विधि


पूजा का समय:
- शनि देव की पूजा शनिवार के दिन सुबह या सूर्यास्त के समय करना शुभ माना जाता है।
- अमावस्या, शनि जयंती और ग्रहण के समय शनि देव की पूजा का विशेष महत्व है।

आवश्यक सामग्री:
- सरसों का तेल, तिल, और काला वस्त्र।
- काले उड़द, लोहे का दान पात्र।
- फूल (नीला या काला), गुड़ और काले तिल से बना प्रसाद।
- शनि यंत्र और शनि देव की मूर्ति या चित्र।

पूजा प्रक्रिया:
1. पूजा स्थल को स्वच्छ करें और शनि देव की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
2. सरसों का तेल दीपक में जलाकर प्रज्वलित करें।
3. शनि चालीसा और शनि मंत्र का जप करें।
4. काले तिल और गुड़ का भोग अर्पित करें।
5. "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का 108 बार जाप करें।
6. पूजा के अंत में गरीबों को दान दें और शनि देव से कृपा के लिए प्रार्थना करें।


शनि देव की पूजा के लाभ


1. कर्मों का फल: शनि देव की पूजा से व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार उचित फल प्राप्त होता है।
2. बाधाओं का निवारण: शनि देव की कृपा से जीवन की सभी बाधाएं और संकट दूर होते हैं।
3. शत्रु नाश: शनि देव की पूजा शत्रुओं के दुष्प्रभाव को समाप्त करती है।
4. आर्थिक उन्नति: उनकी आराधना से व्यक्ति को धन और संपत्ति की प्राप्ति होती है।
5. स्वास्थ्य लाभ: शनि देव की कृपा से रोग और मानसिक तनाव दूर होते हैं।
6. न्याय प्राप्ति: शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। उनकी पूजा से व्यक्ति को न्याय और सुरक्षा प्राप्त होती है।
7. कर्म सुधार: शनि देव की आराधना व्यक्ति को अच्छे कर्म करने की प्रेरणा देती है।
8. आध्यात्मिक उन्नति: शनि देव की पूजा से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है।


शनि देव के मंत्र


1. बीज मंत्र:
"ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।"

2. ध्यान मंत्र:
"नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्।"

3. शांति मंत्र:
"ॐ शं शनैश्चराय नमः।"


शनि देव की पूजा के शुभ अवसर


1. शनि जयंती: शनि देव के जन्मदिवस पर उनकी पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
2. अमावस्या: अमावस्या के दिन शनि देव की पूजा विशेष फलदायी होती है।
3. ग्रहण: ग्रहण के समय शनि देव के मंत्रों का जाप करना लाभकारी होता है।
4. शनिवार: प्रत्येक शनिवार को शनि देव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है।


शनि देव की आरती का अर्थ


शनि देव की आरती उनके दिव्य स्वरूप और करुणामय स्वभाव का वर्णन करती है। वे सूर्य देव और छाया देवी के पुत्र हैं, और उनकी कृपा से भक्तों के जीवन के सभी संकट दूर होते हैं। आरती में उनके श्यामवर्ण के तेजस्वी स्वरूप, नीले वस्त्र, और चार भुजाओं का उल्लेख है। शनि देव अपने भक्तों के लिए हमेशा दयालु और कृपालु रहते हैं। वे न्यायप्रिय देवता हैं जो अच्छे कर्मों को प्रोत्साहित करते हैं और बुरे कर्मों के लिए सजा देते हैं। उनकी आरती में यह भी उल्लेख है कि वे लोहे, तिल, और तेल जैसे पदार्थों को प्रिय मानते हैं। शनि देव की पूजा से भक्तों को जीवन में सफलता, शांति, और संतुलन मिलता है। उनकी आरती का पाठ व्यक्ति के मन को शांति प्रदान करता है और शनि ग्रह के दोषों को शांत करता है।


निष्कर्ष

शनि देव की आरती व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और उन्नति लाने का एक प्रभावी साधन है। शनि देव की आराधना से न केवल ग्रह दोषों का निवारण होता है, बल्कि व्यक्ति को न्याय, सुरक्षा, और सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त होती है। उनकी पूजा और आरती का नियमित पाठ व्यक्ति को कष्टों से मुक्त करता है और जीवन में नई संभावनाओं का द्वार खोलता है।





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