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Shri Ram Ji Ki Arti Lyrics

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्।
नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्।
रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम जित खरदूषणम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि मन रंजनम्।
मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

मन जाहि राचेऊ मिलहिसो वर सहज सुन्दर सांवरो।
करुणा निधान सुजानशील सनेह जानत रावरो॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2

एहि भाँति गौरी असीससुन सिय हित हिय हरषित अली।
तुलसी भवानिहि पूजी पुनि-पुनिमुदित मन मन्दिर चली॥

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन॥...2
|| इति संपूर्णंम् ||


श्री हनुमान आरती का महत्व

श्री रामचन्द्र जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:

श्री रामचन्द्र जी की आरती एक भक्ति गीत है जो भगवान राम के गुणों, उनकी सुंदरता, और उनके द्वारा प्रदान किए गए आशीर्वाद की स्तुति करती है। यह आरती भक्तों को भगवान राम के प्रति श्रद्धा और भक्ति को प्रकट करने का अवसर देती है। आरती में भगवान राम के विभिन्न पहलुओं का वर्णन किया गया है:

भगवान राम की महिमा

"श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन, हरण भवभय दारुणम्" - आरती की शुरुआत भगवान राम के कृपालु स्वभाव की प्रशंसा से होती है। वे संसार के भय और संकटों को समाप्त करने वाले हैं।
"नव कंज लोचन, कंज मुख करकंज पद कंजारुणम्" - भगवान राम के सुंदर और कोमल नेत्र, मुख, और चरणों का वर्णन किया गया है।

भगवान की सुंदरता और गुण

"कन्दर्प अगणित अमित छवि, नव नील नीरद सुन्दरम्" - भगवान राम की सुंदरता की तुलना कामदेव से की गई है। उनके रूप को नीले बादल के समान सुंदर कहा गया है।
"पट पीत मानहुं तड़ित रूचि-शुचिनौमि जनक सुतावरम्" - भगवान राम के पीले वस्त्र और उनके आदर्श रूप का वर्णन किया गया है।

धार्मिक और दैवीय गुण

"भजु दीनबंधु दिनेशदानव दैत्य वंश निकन्दनम्" - भगवान राम को दीनबंधु और दैत्य वंश का नाशक बताया गया है। वे रघुकुल के आनन्द का स्रोत हैं।
"रघुनन्द आनन्द कन्द कौशलचन्द्र दशरथ नन्द्नम्" - भगवान राम को रघुकुल के आनंद और दशरथ के पुत्र के रूप में पूजा गया है।

भगवान की दिव्यता

"सिर मुकुट कुंडल तिलकचारू उदारु अंग विभूषणम्" - भगवान राम के सिर पर मुकुट, कानों में कुंडल और अंगों पर विभूषण का वर्णन है।
"आजानुभुज शर चाप-धर, संग्राम जित खरदूषणम्" - भगवान राम को शर और चाप पकड़े हुए, संग्राम में खर-दूषण को पराजित करने वाले बताया गया है।

आरती की समाप्ति

"इति वदति तुलसीदास, शंकर शेष मुनि मन रंजनम्" - तुलसीदास ने भगवान राम की महिमा का वर्णन किया है, जो शंकर, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करता है।
"मम ह्रदय कंज निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्" - भगवान राम से अनुरोध किया गया है कि वे भक्त के हृदय में निवास करें और काम, क्रोध आदि दोषों का नाश करें।

श्री रामचन्द्र जी की आरती का प्रभाव:

भय और संकट का नाश

भगवान राम की आरती से जीवन की सभी भय और संकट समाप्त होते हैं। उनकी कृपा से समस्याओं का समाधान मिलता है।

धार्मिक शांति और आनंद

आरती का पाठ भक्तों को धार्मिक शांति और आनंद प्रदान करता है। भगवान राम के गुणों की स्तुति से मन को शांति और संतोष मिलता है।

सामाजिक और व्यक्तिगत सुख

भगवान राम की आरती से समाज में शांति और समृद्धि का वातावरण बनता है। व्यक्तिगत जीवन में भी सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

श्री रामचन्द्र जी की आरती का आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति

आरती का नियमित पाठ भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है। इससे भक्तों का भक्ति और समर्पण बढ़ता है।

आध्यात्मिक शांति

भगवान राम की आरती से मानसिक शांति प्राप्त होती है। यह आंतरिक संतोष और मानसिक तनाव को कम करने में सहायक है।

भगवान की कृपा

आरती के माध्यम से भक्त भगवान राम के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं। इससे जीवन में हर प्रकार की बाधाएँ समाप्त होती हैं और सुख-सुविधाएँ प्राप्त होती हैं।

सारांश में: श्री रामचन्द्र जी की आरती भगवान राम की महिमा, गुण, और उनके आशीर्वाद की प्रशंसा करती है। यह आरती जीवन में भय, संकट, और दैवीय दोषों से मुक्ति प्रदान करती है, और भक्तों को मानसिक शांति, सुख, और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कराती है।

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