Shri Jagdish Arti Lyrics
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी ! जय जगदीश हरे।...भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूँ मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
स्वामी तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, सन्तन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे।...
|| इति संपूर्णंम् ||
श्री जगदीश जी की आरती का महत्व
श्री जगदीश जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ
आरती का सारांश:श्री जगदीश जी की आरती एक भक्ति गीत है जिसमें भगवान जगदीश (श्री कृष्ण) की महिमा, कृपा, और उनके भक्तों के प्रति उनकी दया का गुणगान किया गया है। इस आरती के मुख्य बिंदु निम्नलिखित हैं:
भगवान की स्तुति
आरती की शुरुआत भगवान जगदीश की प्रशंसा से होती है: "ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।" यहाँ भगवान को सर्वशक्तिमान और सबके संकट दूर करने वाला बताया गया है।
भक्तों की समस्याएँ और भगवान की कृपा
"भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे।" – भगवान जगदीश भक्तों के संकटों को पल भर में दूर कर देते हैं।
"जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।" – जो भक्त भगवान का ध्यान करता है, उसकी मन की पीड़ा और दुःख दूर हो जाते हैं, और सुख-संपत्ति घर आती है।
भगवान के प्रति श्रद्धा
"मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूँ मैं किसकी।" – भगवान जगदीश को मात-पिता मानते हुए, भक्त उनके अलावा किसी और पर भरोसा नहीं करते।
"तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी।" – भगवान के बिना कोई अन्य आश्रय नहीं है, सबकुछ भगवान पर निर्भर है।
भगवान की सर्वव्यापकता और दया
"तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।" – भगवान जगदीश पूर्ण परमात्मा हैं और सभी के अंतरात्मा के जानकार हैं।
"तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।" – भगवान जगदीश दया और करुणा के सागर हैं और सभी जीवों के पालनकर्ता हैं।
भक्ति की प्रार्थना
"मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता।" – भक्त भगवान से दया और कृपा की प्रार्थना करता है, क्योंकि वह स्वयं को मूर्ख और कामी मानता है।
"किस विधि मिलूँ दयामय, तुमको मैं कुमति।" – भगवान से यह भी प्रार्थना की जाती है कि वे अपनी दया से भक्त को कुमति (बुरी बुद्धि) से बचाएं।
"विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।" – आरती में भगवान से प्रार्थना की जाती है कि वे विषय-विकारों और पापों को दूर करें और भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाएं।
आरती का प्रभाव
संकटों की समाप्ति
श्री जगदीश की आरती भक्तों के जीवन से संकटों और समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है। भगवान की कृपा से जीवन में सुख और शांति आती है।
सुख और समृद्धि
आरती के पाठ से भगवान की कृपा प्राप्त होती है, जिससे भक्तों को सुख, समृद्धि, और शांति मिलती है।
मानसिक शांति
भगवान जगदीश की आरती से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह आरती मानसिक तनाव को दूर करने में मदद करती है।
श्री जगदीश जी की आरती के लाभ
आध्यात्मिक उन्नतिआरती के नियमित पाठ से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है और भगवान जगदीश के प्रति भक्ति और समर्पण में वृद्धि होती है।
भक्ति की वृद्धि
आरती भक्तों की श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाती है। भक्त भगवान के प्रति अपनी भक्ति को और अधिक मजबूत करता है।
पापों की समाप्ति
आरती से पाप और दोष दूर होते हैं, और भक्त को धार्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सारांश में:
श्री जगदीश की आरती भगवान जगदीश की महिमा और कृपा का गुणगान करती है। यह आरती भक्तों के जीवन से संकटों को दूर करती है, सुख और समृद्धि प्रदान करती है, और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होती है। यह भक्ति और श्रद्धा को बढ़ाती है और भक्तों को मानसिक शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करती है।
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