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Shri Hanuman Bahuk Chaliasa

॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥

॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ऋनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
|| इति संपूर्णंम् ||


Shri Hanuman Bahuk Chalisa Meaning

श्री हनुमान बाहुक एक प्रसिद्ध भक्ति गीत है, जो भगवान हनुमान को समर्पित है। इसे गोस्वामी तुलसीदास जी ने रचा था। श्री हनुमान बाहुक में 44 दोहे और चौपाईयाँ होती हैं, जिनमें भगवान हनुमान के गुणों, लीलाओं और भक्तों को उनके आशीर्वाद की प्रार्थना का वर्णन किया गया है। यहाँ श्री हनुमान बाहुक का सारांश प्रस्तुत है:

हनुमान बाहुक का संक्षिप्त अर्थ

प्रस्तावना:
भगवान हनुमान की महिमा का गुणगान करते हुए, भक्त उनसे सभी प्रकार के कष्टों, रोगों और संकटों से मुक्ति की प्रार्थना करते हैं।

भगवान हनुमान के गुण:

भगवान हनुमान को अद्भुत शक्ति, बल, बुद्धि, और ज्ञान के प्रतीक के रूप में वर्णित किया गया है।
वे संकटमोचन, सभी प्रकार की बाधाओं का नाश करने वाले, और राम भक्तों के रक्षक हैं।

राम कथा:
श्री हनुमान रामायण की कथा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सीता की खोज की, लंका को जलाया, और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी की प्राण रक्षा की।

रोगों और संकटों का नाश:
श्री हनुमान बाहुक का पाठ करने से सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक रोगों का नाश होता है।
भगवान हनुमान की कृपा से जीवन के सभी संकट और विपत्तियाँ दूर होती हैं।

भक्तों की प्रार्थना:
भक्त भगवान हनुमान से प्रार्थना करते हैं कि वे उनकी सभी समस्याओं का समाधान करें और जीवन में सुख-शांति प्रदान करें।
उनकी कृपा से भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

श्री हनुमान बाहुक के लाभ

रोग नाशक: श्री हनुमान बाहुक का नियमित पाठ करने से शारीरिक और मानसिक रोगों का नाश होता है।
संकट नाशक: भगवान हनुमान की भक्ति से जीवन के सभी संकटों और विपत्तियों को दूर किया जा सकता है।
आध्यात्मिक उन्नति: नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और भगवान हनुमान के प्रति भक्ति और समर्पण बढ़ता है।
कष्टों का नाश: भगवान हनुमान की कृपा से सभी प्रकार की विपत्तियाँ और कष्ट दूर होते हैं।
सुख-शांति: श्री हनुमान बाहुक का पाठ करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

श्री हनुमान बाहुक का पाठ करने से भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि लाती है। यह भक्तों को मानसिक शांति, संतोष और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

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