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Shri Ganga Ji Ki Arti

ॐ जय गंगे माता॥...

ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥...

चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥
ॐ जय गंगे माता॥...

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥
ॐ जय गंगे माता॥...

एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥...

आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता।
सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥
ॐ जय गंगे माता॥...

|| इति संपूर्णंम् ||

श्री गंगा माता जी की आरती का महत्व

श्री गंगा माता जी की आरती का सारांश, प्रभाव और आध्यात्मिक लाभ

आरती का सारांश:
श्री गंगा माता जी की आरती भक्ति और श्रद्धा के साथ गाई जाती है। इसमें माँ गंगा की महिमा, उनके दिव्य स्वरूप, और उनकी आराधना का गुणगान किया गया है। यहाँ इस आरती के प्रमुख बिंदुओं का सारांश प्रस्तुत किया गया है:
माँ गंगा की महिमा:
"ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता। जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता॥"
जो भी व्यक्ति माँ गंगा की पूजा और ध्यान करता है, उसकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। माता गंगा की महिमा का गुणगान करते हुए, आरती में उनकी जय-जयकार की जाती है।

माँ गंगा की दिव्यता:

"चन्द्र-सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता। शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता॥"
माँ गंगा की ज्योति चाँद के समान निर्मल और शुद्ध है। जो व्यक्ति माँ गंगा की शरण में आता है, वह जीवन के कष्टों से उबरकर सुख-शांति प्राप्त करता है।
सगर के पुत्र का उदाहरण:
"पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता। कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता॥"
सगर के पुत्र अश्वमेघ यज्ञ के दौरान माँ गंगा की कृपा से उनकी सारी समस्याएँ हल हो गई थीं। माँ गंगा की कृपा से सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को सुख और समृद्धि प्राप्त होती है।
शरणागत की रक्षा:
"एक बार जो प्राणी, शरण तेरी आता। यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता॥"
जो भी व्यक्ति एक बार माँ गंगा की शरण में आता है, वह यमराज के भय से मुक्त होकर मोक्ष की प्राप्ति करता है।

माँ गंगा की आरती के प्रभाव:

"आरती मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता। सेवक वही सहज में, मुक्ति को पाता॥"
जो भक्त नियमित रूप से माँ गंगा की आरती गाता है, वह स्वतः ही मोक्ष की प्राप्ति करता है और उसके जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
आरती का प्रभाव:
मानसिक शांति और संतोष:
माँ गंगा की आरती से भक्तों को मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह आरती उनकी आत्मा को शांति प्रदान करती है और जीवन की समस्याओं को कम करती है।
भक्ति और समर्पण:
इस आरती का नियमित पाठ भक्तों की भक्ति और समर्पण को प्रगाढ़ करता है। यह माँ गंगा के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।
संकट नाशक:
आरती के माध्यम से भक्तों को माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उनके जीवन के संकटों और समस्याओं का समाधान करता है।

माँ गंगा की आरती के आध्यात्मिक लाभ:

आध्यात्मिक उन्नति:
माँ गंगा की आरती से भक्तों की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह उनके भक्ति और समर्पण को गहरा करती है।
मुक्ति और मोक्ष:
इस आरती के पाठ से भक्तों को मोक्ष और मुक्ति प्राप्त होती है। माँ गंगा की कृपा से वे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त होते हैं और परमगति को प्राप्त करते हैं।
आशीर्वाद की प्राप्ति:
नियमित रूप से इस आरती का पाठ करने से भक्तों को माँ गंगा का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
सारांश में:
श्री गंगा माता जी की आरती माँ गंगा की महिमा का गुणगान करती है, उनके दिव्य स्वरूप की पूजा करती है, और भक्तों के जीवन को सुख, समृद्धि, और मोक्ष प्रदान करती है। यह आरती मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और संकटों से मुक्ति का साधन है।

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