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Kali Mata Chalisa

॥ दोहा ॥
जय काली जगदम्ब जय,हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के,निशदिन हृदय निकुंज॥

जयति कपाली कालिका,कंकाली सुख दानि।
कृपा करहु वरदायिनी,निज सेवक अनुमानि॥


॥ चौपाई ॥
जय जय जय काली कंकाली।
जय कपालिनी, जयति कराली॥

शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा।
जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा॥

आर्या, हला, अम्बिका, माया।
कात्यायनी उमा जगजाया॥

गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी।
दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी॥

पार्वती मंगला भवानी।
विश्वकारिणी सती मृडानी॥

सर्वमंगला शैल नन्दिनी।
हेमवती तुम जगत वन्दिनी॥

ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय।
महारात्रि जय मोहरात्रि जय॥

तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका।
कूष्माण्डा कार्तिका चण्डिका॥

तारा भुवनेश्वरी अनन्या।
तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या॥

धूमावती षोडशी माता।
बगला मातंगी विख्याता॥

तुम भैरवी मातु तुम कमला।
रक्तदन्तिका कीरति अमला॥

शाकम्भरी कौशिकी भीमा।
महातमा अग जग की सीमा॥

चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री।
ब्रह्मवादिनी मां गायत्री॥

रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला।
अग्निज्वाला तुम सर्वमंगला॥

मेघस्वना तपस्विनि योगिनी।
सहस्राक्षि तुम अगजग भोगिनी॥

जलोदरी सरस्वती डाकिनी।
त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी॥

पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती।
कामाक्षी लज्जा आहूती॥

महोदरी कामाक्षि हारिणी।
विनायकी श्रुति महा शाकिनी॥

अजा कर्ममोही ब्रह्माणी।
धात्री वाराही शर्वाणी॥

स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी।
मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी॥

नाम रूप गुण अमित तुम्हारे।
शेष शारदा बरणत हारे॥

तनु छवि श्यामवर्ण तव माता।
नाम कालिका जग विख्याता॥

अष्टादश तब भुजा मनोहर।
तिनमहँ अस्त्र विराजत सुन्दर॥

शंख चक्र अरू गदा सुहावन।
परिघ भुशण्डी घण्टा पावन॥

शूल बज्र धनुबाण उठाए।
निशिचर कुल सब मारि गिराए॥

शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे।
रक्तबीज के प्राण निकारे॥

चौंसठ योगिनी नाचत संगा।
मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा॥

कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि।
दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि॥

कर खप्पर त्रिशूल भयकारी।
अहै सदा सन्तन सुखकारी॥

शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा।
बजत मृदंग भेरी के बाजा॥

रक्त पान अरिदल को कीन्हा।
प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा॥

लपलपाति जिव्हा तव माता।
भक्तन सुख दुष्टन दु:ख दाता॥

लसत भाल सेंदुर को टीको।
बिखरे केश रूप अति नीको॥

मुंडमाल गल अतिशय सोहत।
भुजामल किंकण मनमोहन॥

प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी।
जगदम्बा कहि वेद बखानी॥

तुम मशान वासिनी कराला।
भजत तुरत काटहु भवजाला॥

बावन शक्ति पीठ तव सुन्दर।
जहाँ बिराजत विविध रूप धर॥

विन्धवासिनी कहूँ बड़ाई।
कहँ कालिका रूप सुहाई॥

शाकम्भरी बनी कहँ ज्वाला।
महिषासुर मर्दिनी कराला॥

कामाख्या तव नाम मनोहर।
पुजवहिं मनोकामना द्रुततर॥

चंड मुंड वध छिन महं करेउ।
देवन के उर आनन्द भरेउ॥

सर्व व्यापिनी तुम माँ तारा।
अरिदल दलन लेहु अवतारा॥

खलबल मचत सुनत हुँकारी।
अगजग व्यापक देह तुम्हारी॥

तुम विराट रूपा गुणखानी।
विश्व स्वरूपा तुम महारानी॥

उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण।
करहु दास के दोष निवारण॥

माँ उर वास करहू तुम अंबा।
सदा दीन जन की अवलंबा॥

तुम्हारो ध्यान धरै जो कोई।
ता कहँ भीति कतहुँ नहिं होई॥

विश्वरूप तुम आदि भवानी।
महिमा वेद पुराण बखानी॥

अति अपार तव नाम प्रभावा।
जपत न रहन रंच दु:ख दावा॥

महाकालिका जय कल्याणी।
जयति सदा सेवक सुखदानी॥

तुम अनन्त औदार्य विभूषण।
कीजिए कृपा क्षमिये सब दूषण॥

दास जानि निज दया दिखावहु।
सुत अनुमानित सहित अपनावहु॥

जननी तुम सेवक प्रति पाली।
करहु कृपा सब विधि माँ काली॥

पाठ करै चालीसा जोई।
तापर कृपा तुम्हारी होई॥


॥ दोहा ॥
जय तारा, जय दक्षिणा,कलावती सुखमूल।
शरणागत 'भक्त ' है,रहहु सदा अनुकूल॥

|| इति संपूर्णंम् ||



श्री काली माता चालीसा: पूजा विधि, लाभ, मंत्र, शुभ अवसर और अर्थ


श्री काली माता चालीसा देवी काली की महिमा का बखान करने वाली एक अनुपम रचना है। काली माता को जगत की रक्षक और विनाश की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनका अद्भुत स्वरूप और उनकी शक्तियाँ भक्तों को आत्मिक बल और जीवन के कष्टों से उबरने में मदद करती हैं। इस चालीसा में उनकी महिमा, शक्ति, और उनके भक्तों के प्रति करुणा का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। देवी काली की आराधना से न केवल आत्मा शुद्ध होती है, बल्कि जीवन में नकारात्मकता का नाश भी होता है।


काली माता की पूजा विधि


पूजा का समय:
- अमावस्या और दीपावली की रात को देवी काली की पूजा विशेष फलदायी होती है।
- नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी, और नवमी तिथियों पर उनकी पूजा का विशेष महत्व है।
- शुक्रवार और चतुर्दशी के दिन काली माता की आराधना से विशेष लाभ मिलता है।

आवश्यक सामग्री:
- लाल फूल, चंदन, और काले तिल।
- दीपक, धूप, और कपूर।
- नारियल, मिठाई, और नींबू।
- काली माता की प्रतिमा या चित्र।

पूजा विधि:
1. पूजा स्थल को साफ और पवित्र करें।
2. काली माता की प्रतिमा को लाल फूलों और वस्त्रों से सजाएँ।
3. दीपक और अगरबत्ती जलाकर पूजा आरंभ करें।
4. "ॐ क्रीं कालिकायै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें।
5. श्रद्धा और भक्ति के साथ "काली माता चालीसा" का पाठ करें।
6. नारियल और मिठाई का भोग अर्पित करें।
7. पूजा समाप्त होने पर सभी में प्रसाद वितरित करें।


काली माता चालीसा के लाभ


1. नकारात्मकता का नाश: काली माता की आराधना से जीवन की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।
2. भय से मुक्ति: देवी काली का स्मरण करने से भय और असुरक्षा का नाश होता है।
3. आत्मबल की वृद्धि: देवी की कृपा से मनोबल और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
4. रोगों से छुटकारा: काली माता के आशीर्वाद से शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
5. शत्रुओं से सुरक्षा: देवी काली शत्रुओं को पराजित करने और उनके बुरे प्रभाव से बचाने में सहायक हैं।
6. आध्यात्मिक प्रगति: उनकी पूजा से आत्मा की शुद्धि और आध्यात्मिक जागरूकता प्राप्त होती है।
7. परिवार में शांति: देवी की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
8. कार्यों में सफलता: देवी काली की पूजा से सभी कार्य सफल होते हैं।


काली माता के मंत्र


बीज मंत्र:
"ॐ क्रीं कालिकायै नमः।"

गायत्री मंत्र:
"ॐ महाकाल्यै च विद्महे, श्मशानवासिन्यै धीमहि। तन्नः काली प्रचोदयात्।"

शांति मंत्र:
"ॐ शान्ति शान्ति शान्तिः।"


काली माता चालीसा के शुभ अवसर


1. अमावस्या: अमावस्या की रात देवी काली की आराधना से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होता है।
2. नवरात्रि: नवरात्रि के सप्तमी, अष्टमी, और नवमी तिथियों पर देवी की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है।
3. दीपावली: दीपावली की रात देवी काली की आराधना से जीवन में समृद्धि और सुख-शांति आती है।
4. चतुर्दशी: इस दिन उनकी पूजा से सभी कष्टों का निवारण होता है।
5. विशेष साधना: साधना और तांत्रिक पूजा के लिए काली माता का ध्यान अत्यंत लाभकारी है।


काली माता चालीसा का अर्थ


**दोहा का अर्थ:**
- **"जय काली जगदम्ब जय, हरनि ओघ अघ पुंज। वास करहु निज दास के, निशदिन हृदय निकुंज॥"**
अर्थ: हे काली माता, आपकी जय हो। कृपया अपने भक्त के हृदय में निवास करें और उसके सभी कष्टों को दूर करें।

**चौपाई का अर्थ:**
काली माता चालीसा में उनके विभिन्न रूपों और शक्तियों का उल्लेख किया गया है। देवी काली का उग्र स्वरूप बुराई को नष्ट करने वाला है और उनके शांत रूप से भक्तों को शांति प्राप्त होती है। चालीसा में वर्णित है कि देवी काली ने शुंभ-निशुंभ, रक्तबीज, और चंड-मुंड जैसे दैत्यों का संहार कर धर्म की स्थापना की। उनकी महिमा अपरंपार है, और उनकी कृपा से भक्त जीवन की कठिनाइयों से मुक्त हो जाते हैं।
चालीसा का पाठ करने से न केवल आत्मिक बल की वृद्धि होती है, बल्कि जीवन में स्थिरता और सुख-शांति का अनुभव होता है। देवी काली का ध्यान भय को समाप्त करता है और आत्मा को शुद्ध करता है।


निष्कर्ष

श्री काली माता चालीसा भक्तों को देवी के शक्तिशाली स्वरूप और उनकी करुणा से जोड़ती है। यह चालीसा नकारात्मकता और भय को दूर करती है और आत्मा को बलवान बनाती है। देवी काली की आराधना से भक्तों को आत्मिक शांति और जीवन की सभी बाधाओं का समाधान प्राप्त होता है। उनकी महिमा अपार है, और उनकी कृपा से सभी कार्य सफल होते हैं।





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