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Dipawali Puja

दीपावली पूजा: विस्तृत जानकारी

दीपावली (दिवाली) का पर्व केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख और महत्वपूर्ण धार्मिक त्योहार है, जिसे पूरे भारत में बड़े उत्साह और श्रद्धा से मनाया जाता है। यह पर्व मुख्यतः माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए प्रसिद्ध है। माँ लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य, और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि भगवान गणेश को बाधाओं को दूर करने वाले देवता के रूप में पूजा जाता है। दीपावली के दिन हर घर को दीपों की रोशनी से सजाया जाता है, और इसे अंधकार पर प्रकाश की विजय के रूप में देखा जाता है।

दीपावली के पांच दिनों के त्योहार का पहला दिन धनतेरस, दूसरा दिन नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली), तीसरा दिन मुख्य दिवाली, चौथा दिन गोवर्धन पूजा, और पांचवां दिन भाई दूज होता है।

दीपावली पूजा की विधि विस्तार से

1. धनतेरस (पहला दिन):

तिथि: 29 अक्टूबर 2024
इस दिन माँ लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा की जाती है। कुबेर को तिजोरी के देवता माना जाता है, इसलिए इस दिन लोग नए सोने-चांदी के बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। माना जाता है कि धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएं समृद्धि का प्रतीक होती हैं।

2. नरक चतुर्दशी (दूसरा दिन):

तिथि: 31 अक्टूबर 2024
इसे छोटी दिवाली भी कहा जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था, इसलिए इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन विशेष स्नान का महत्व है और पूजा के बाद घर के कोनों में दीप जलाए जाते हैं।

3. मुख्य दिवाली (तीसरा दिन):

तिथि: 1 नवंबर 2024
यह सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है, जिसमें माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसे लक्ष्मी पूजन कहा जाता है। पूरे घर को साफ-सुथरा करने के बाद, सजावट के लिए रंगोली बनाई जाती है, और दीपों से पूरे घर को रोशन किया जाता है। इस दिन धन की देवी लक्ष्मी की पूजा विधिपूर्वक की जाती है ताकि घर में समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।

4. गोवर्धन पूजा (चौथा दिन):

तिथि: 2 नवंबर 2024
इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाकर इंद्र के क्रोध से ब्रजवासियों की रक्षा करने की कथा के रूप में पूजा की जाती है। लोग घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाकर पूजा करते हैं और गायों की पूजा भी करते हैं।

5. भाई दूज (पांचवां दिन):

तिथि: 3 नवंबर 2024
इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और उनके सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। भाई दूज का दिन भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को मजबूत करने का होता है।

दीपावली पूजा की तैयारी:

दीपावली पूजा की आवश्यक सामग्री:

- माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियाँ
- दीपक (तेल और घी के)
- घी, कपूर, धूपबत्ती
- सुपारी, पान, साबुत चावल
- फूल (विशेषकर कमल के फूल)
- रोली, कुमकुम, हल्दी, सिंदूर
- फूल माला
- पानी का लोटा, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और चीनी)
- धनिया के बीज
- मिठाई (खीर, लड्डू, बर्फी आदि)
- सफेद कपड़ा या चौकी
- सिक्के और चांदी के कलश
- गंगा जल

2024 में दिवाली का सही मुहूर्त:

दिवाली तिथि: 1 नवंबर 2024 (शुक्रवार)
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त: शाम 06:15 PM से 08:10 PM तक।
प्रदोष काल: शाम 05:45 PM से 08:25 PM तक।
वृषभ काल: 06:15 PM से 08:10 PM तक।

दीपावली पूजा की विधि:

1. स्नान और साफ-सफाई:
सबसे पहले दिवाली की पूजा से पहले घर की पूरी साफ-सफाई करें। ऐसा माना जाता है कि माँ लक्ष्मी स्वच्छ और सुंदर स्थानों पर निवास करती हैं।
स्नान करने के बाद नए या साफ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को अच्छे से सजाएं।

2. माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की स्थापना:
पूजा स्थल पर भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की मूर्तियों की स्थापना करें। माँ लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है, जबकि भगवान गणेश बाधाओं को दूर करने वाले देवता हैं।
इनके साथ धन के प्रतीक रूप में सोने या चांदी के सिक्के या तिजोरी रखें।

3. संकल्प लें:
पूजा की शुरुआत में संकल्प लें कि आप माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विधिपूर्वक करेंगे और समृद्धि की प्रार्थना करेंगे।
जल लेकर हाथ में फूल और अक्षत (चावल) लें और मन में संकल्प लें कि आप अपने परिवार की सुख-समृद्धि के लिए पूजा कर रहे हैं।

4. गणेश पूजन:
पूजा में सबसे पहले भगवान गणेश का पूजन करें क्योंकि बिना गणेश पूजा के कोई भी धार्मिक कार्य सफल नहीं होता।
भगवान गणेश को फूल, चंदन, अक्षत और मिठाई अर्पित करें और उनका ध्यान करें। उनकी आरती उतारें और उन्हें मोदक या लड्डू का भोग लगाएं।

5. माँ लक्ष्मी की पूजा:
लक्ष्मी पूजा के लिए माँ लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर को अच्छे से सजाएं।
लक्ष्मी जी को कमल के फूल, चावल, चंदन, गुलाब और मिठाई अर्पित करें। साथ ही उन्हें धूप, दीप, और अगरबत्ती से पूजन करें।
माँ लक्ष्मी को सफेद वस्त्र या लाल चुनरी अर्पित करें और उनके सामने धनिया के बीज रखें, जो धन की वृद्धि का प्रतीक होते हैं।

6. कुबेर और धन की पूजा:
माँ लक्ष्मी के साथ कुबेर भगवान और तिजोरी या धन रखने के स्थान की पूजा करें। इसे समृद्धि और उन्नति का प्रतीक माना जाता है।
पूजा स्थल पर रखे गए सिक्कों, तिजोरी और अन्य धन सामग्री पर कुमकुम और चावल से तिलक करें।

7. आरती और मंत्र:
लक्ष्मी माता और गणेश जी की आरती करें। आरती के दौरान धूप, कपूर और दीप जलाकर पूरे घर में घुमाएं ताकि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास हो।
माँ लक्ष्मी के लिए "ॐ महालक्ष्म्यै नमः" का जाप करें।

8. भोग अर्पण:
माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश को भोग अर्पित करें। इसमें खीर, मिठाई, फल और पंचामृत शामिल हो सकते हैं।
भोग लगाने के बाद इसे परिवार के सभी सदस्यों में बांटें।

9. दीप जलाना:
घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाएं। ऐसा माना जाता है कि दीप जलाने से घर में माँ लक्ष्मी का वास होता है और सभी अंधकार दूर होते हैं।
घर के मुख्य दरवाजे पर चार दीये जलाकर रखें और पूरे घर में रोशनी फैलाएं।

10. विष्णु भगवान की पूजा:
अंत में भगवान विष्णु की पूजा करें क्योंकि वे लक्ष्मी माता के पति हैं। भगवान विष्णु की कृपा से ही लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दिवाली पूजा का कारण:

दिवाली पूजा का मुख्य उद्देश्य घर में सुख-समृद्धि और धन की वृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना है।
भगवान गणेश की पूजा बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है ताकि जीवन में कोई विघ्न न आए।
दीप जलाने का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है, जो अज्ञान और अंधकार को दूर कर ज्ञान और प्रकाश को जीवन में लाता है।

इस शुभ समय में पूजा करना विशेष लाभकारी और फलदायी माना जाता है। दिवाली के इस महाउत्सव पर सही विधि और समय से पूजा करने से माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।


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